कुशावर्त घाट का निर्माण एक मराठा रानी, अहिल्याबाई होल्कर द्वारा करवाया गया था। यहाँ लोग अपने प्रियजनों की आत्मा की शांति हेतु ‘श्राद्ध’ कराने आते हैं। ऐसा विश्वास है कि प्राचीन समय के एक महान संत दत्तात्रेय यहाँ ध्यान किया करते थे। मिथकों के अनुसार दत्तात्रेय ने केवल एक पैर पर खड़े रह कर एक हज़ार साल तक यहाँ तपस्या की थी।