पुरानी हवेली में आजादी से पहले हैदराबाद के निजाम के अधिकारी रहते थे। अली खान बहादुर आसिफ जाह द्वितीय द्वारा बनवाए गए इस हवेली को प्रचीन समय में हवेली खदीम के नाम से जाना जाता था। उन्होंने यह हवेली अपने बेटे सिकंदर जाह आसिफ जाह तृतीय को उपहार स्वरूप दिया, जिन्होंने 1803 से 1829 तक शहर पर शासन किया था।
यह महल यू शेप में बनाया गया है और इसमें समांतर बने दो इलिपसोडल विंग भी बने हैं। महल के रहने का हिस्सा दोनों विंग के बीच में लंबवत बना हुआ है। इस महल को देख कर 18वीं शताब्दी के एक यूरोपीय महल की याद ताजा हो जाती है।
महल में एक अलमारी भी है जो कि विश्व में सबसे लंबी है। इतना ही नहीं इस अलमारी में सुविधा के लिए लकड़ी की सीढ़ी भी बनी हुई है।