महात्मा गांधी हॉल, इंदौर की ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इस हॉल का निर्माण 1904 में करवाया गया था और इसका नाम किंग एडवर्ड हॉल रखा गया था। भारत की आजादी के बाद, इस भव्य हॉल का नाम 1948 में बदलकर महात्मा गांधी हॉल कर दिया गया।
इस हॉल का निर्माण भारतीय - गोथिक शैली में किया गया है जिसे बंबई के चार्ल्स फ्रेडरिक स्टीवंस ने डिजायन किया था। इस हॉल की वास्तुकला आश्चर्यचकित कर देने वाली है। शहर में इसे टाउन हॉल के नाम से भी जाना जाता है। हॉल में पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण एक घड़ी टॉवर है।
चारों तरफ मुंह वाला यह टॉवर हॉल के बीचों - बीच में स्थित है और एक गुंबद से घिरा है। स्थानीय लोगों के बीच इस टॉवर को इस घडी की वजह से क्लॉक टॉवर या घंटाघर भी कहा जाता है। खुली छत, सजवटी पट्टियां, ऊंची छतें, सुसज्जित कमरे, मीनारें आदि इस हॉल को भव्यता प्रदान करते है। इस हॉल में एक समय में 2000 लोग भी आ सकते है। हॉल में बच्चों के लिए पार्क और एक पुस्तकालय भी है।