सही मायनों में देखा जाए तो जबलपुर का बैलेंसिंग रॉक्स भूवैज्ञानिक अचंभा ही है। गोंड शासक राजा मदन मोहन सिंह द्वारा बनवाए गए मदन मोहन किला के रास्ते में पड़ने वाला बैलेंसिंग रॉक्स के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण हजारों साल पहले ज्वालामुखी फटने से हुआ था।
पुरातत्वविद और भूवैज्ञानिक आज तक इस बात को समझने में नाकाम रहे है कि आखिर कैसे ये चट्टानें इतने सालों से उसी स्थान पर मौजूद है। हालांकि उनका ऐसा मानना है कि ये चट्टानें अपने वजन और स्थिति के साथ गुरुत्वाकर्षण बल के कारण अपने स्थान पर टिकी हुई हैं।
यहां तक कि जब 1997 के भूकंप ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया था, तब भी यह चट्टानें अपनी जगह पर टिकी रहीं। मदन महल किले के ऊपर से बैलेंसिंग रॉक्स के अलावा शहर का भी विहंगम नजारा देखा जा सकता है। भूवैज्ञानिकों के बीच तो बैलेंसिंग रॉक्स लोकप्रिय है ही, साथ आम लोगों के लिए भी इन चट्टानों को देखे बिना जबलपुर की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी।