छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले की स्थापना 25 मई 1998 को की गई थी। यह राज्य के बीचों-बीच स्थित है, जिससे इसे ‘छत्तीसगढ़ का दिल’ भी कहा जाता है। खाद्यान्न उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला यह जिला राज्य का एक तेजी से विकसित होता शहर है। जांजगीर-चांपा महाराज जाजवल्य का शहर है, जिसका संबंध कलीचुरी वंश से है।
यहां रहने वाले ज्यादातर स्थानीय लोग आसपास के गांवों से आकर बसे हैं। जांजगीर-चांपा में जगहों के नाम स्थानीय लोगों की जाति पर रखा गया है। मसलन, कहरा पारा, खाले पारा, भाता पारा आदि।
जिले के हसदेव-बंगो प्रोजेक्ट को एक महत्वकांक्षी परियोजना माना जा रहा है। ऐसा अनुमान है कि इस परियोजना से जांजगीर-चांपा के तीन चौथाई क्षेत्रफल में सिंचाई की व्यवस्था की जा सकेगी। यह जिला कृषि का भी गढ़ है और साथ ही यह चूना पत्थर के लिए भी प्रसिद्ध है। जांजगीर-चांपा अपनी संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। यहां की संस्कृति में शहर के इतिहास की झलक साफ तौर पर देखी जा सकती है। मजेदार बात यह है कि ऐनी फंक नामक एक पादरी का संबंध इसी शहर से, जिनकी टायटेनिक दुर्घटना में मौत हो गई थी।
जांजगीर-चांपा और आसपास के पर्यटन स्थल
पर्यटक चाहें तो आज भी ऐनी फंक के घर के खंडहर को घूम सकते हैं। यहां कई तीर्थ स्थल भी है, जिनमें विष्णु मंदिर, लक्ष्मणोश्वर मंदिर, अड़भार, नहारिया बाबा मंदिर, दुर्गा देवी मंदिर, शिवरीनारायण मंदिर और चंद्रहासिनी मंदिर प्रमुख है। इसके अलावा, मदनपुरगढ़, कनहारा, पीथमपुर, देवार घाटा, दमऊधारा और घाटादाई भी कुछ जाने माने पर्यटन स्थल हैं। इन सभी में विष्णु मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, क्योंकि यह जांजगीर-चांपा में वैष्णव समुदाय के प्रचीन संस्कृति का वाहक है।
जांजगीर-चांपा का मौसम
छत्तीसगढ़ के बाकी हिस्सों की तरह ही जांजगीर-चांपा की जलवायु उष्णकटिबंधीय है। गर्मी का मौसम आमतौर पर अप्रैल से जून तक रहता है। इस मौसम में यहां तापमान काफी ज्यादा होता है, जबकि ठंड के समय पारा काफी नीचे आ जाता है।
कैसे पहुंचें जांजगीर-चांपा
रेल हवाई जहाज और सड़क मार्ग से आसानी ने जांजगीर-चांपा जाया जा सकता है।