बुआ वाला तालाब के निर्माण से 375 साल पुरानी सच्चे प्रेम की एक हृदय विदारक कहानी जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक दिन झज्जर नवाब के एक सूबेदार मुस्तफा खान की बहादुर बेटी बुआ घुड़सवारी करते हुए जंगल में पहुंच गई। दुर्भागय से उनपर बाघ ने हमला कर दिया और वह मदद क लिए चिल्लाई।
उनकी चीख सुनकर पास में ही काम कर रहा हसन नाम का एक गरीब लेकिन सुंदर लकड़हारा उस ओर दौड़ा। उसने बाघ को मार गिराया और लड़की को जख्मी हालत में वापस लेकर आया। बुआ के पिता ने लकड़हारे को ईनाम देने की घोषणा की, पर उन्होंने ईनाम के बदले उनकी बेटी से शादी की इच्छा जाहिर की।
बेमन से मुस्तफा खान ने लकड़हारे की बात मान ली, पर शादी को कुछ समय के लिए आगे बढ़ा दिया। एक दिन उन्होंने हसन से कहा कि वह नवाब की सेना में भर्ती हो जाए और युद्ध में हिस्सा ले। हसन ने ऐसा ही किया और युद्ध में मारा गया।