भूतेश्वर मंदिर का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह मंदिर भगवान् शिव को समर्पित है जिन्हें यहाँ भूतनाथ कहा जाता है। भूतनाथ, भूतों एवं आत्माओं के स्वामी हैं। यही कारण है कि उत्तर भारत में लगभग सभी शमशान भगवान् की भव्य मूर्तियों से सजे हुए हैं। जब एक व्यक्ति की मृत्यु होती है और उसका अंतिम संस्कार किया जाता है तो उसकी आत्मा मुक्त हो जाती है।
यह मंदिर गोहाना रोड पर स्थित है। इसे जींद के शासक राजा रघुबीर सिंह ने बनवाया था। इसे अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है क्योंकि इस मंदिर चारों भी ओर एक बड़ा पानी का तालाब है। इसलिए इसे रानी तालाब भी कहा जाता है।
इस तालाब को बनवाने का एक कारण यह भी था कि रानी इसमें स्नान कर सके। इसलिए राजा ने एक सुरंग का निर्माण भी किया जो तालाब को महल से जोडती थी। इसका निर्माण इसलिए किया गया था कि रानी स्नान कर लोगों की नज़रों में आये बिना सीधे महल में प्रवेश कर सके। सुरंग के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं। इस मंदिर में अन्य देवी देवताओं की भी कई मूर्तियाँ हैं। इसे जींद के शाही परिवार का पूल(तालाब) भी कहा जाता है।