पुष्कर का मंदिर पोंकर खेरी गाँव में स्थित है जो जींद के दक्षिण में बीस किमी दूर स्थित है। इसे जमदग्नि और रेणुका के पुत्र परशुराम ने बनवाया था, जिसका उल्लेख पौराणिक शास्त्रों में भी मिलता है। वे भगवान् शिव के शिष्य थे। उनका वंश ब्रम्हा से उत्पन्न हुआ था।
परशुराम को भगवान् विष्णु का छठवां अवतार माना जाता है और इन्हें अमर रहने का वरदान प्राप्त था। ऐसा माना जाता है कि भगवान् शिव को संतुष्ट करने के लिए उन्होंने बहुत लंबी और गंभीर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान् शिव ने उन्हें मार्शल आर्ट सिखाया और एक कुल्हाड़ी उपहार में दी।
ऐसा कहा जाता है कि परशुराम के पिता एक क्षत्रिय राजा कार्तवीर्य द्वारा मारे गए थे। इस कारण परशुराम इतने अधिक क्रोधित हुए कि अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए उन्होंने इक्कीस बार क्षत्रियों को मारा।
इन्होंने महाभारत के कर्ण और द्रोणाचार्य को भी मार्शल आर्ट सिखाया। इन्होंने कई ब्राह्मण वंशों की स्थापना की। परंपरा के अनुसार, इस मंदिर में प्रार्थना करने पर एक अश्वमेध बलिदान के बराबर योग्यता प्राप्त होती है। अपने पूर्वजों के लिए यहाँ प्रार्थना करना अत्यधिक पवित्र माना जाता है।