डेहकियाखोवा नामघर, जोरहाट में सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है। इस स्थल की स्थापना एक संत - सुधारक माधवदेवा ने की थी, जो एक छोटे से गांव के श्रीमंता शंकरदेव के शिष्य थे, बाद में इनका नाम डेहकियाखोवा रख दिया गया था। यह माना जाता है कि लोगों में सुधार लाने के दौरान संत माधवदेवा इस छोटे से अनजान गांव में आकर ठहरे।
उन्होने एक बहुत गरीब परिवार की बूढ़ी औरत से वहां ठहरने के बारे में पूछा। उसकी गरीबी के कारण, उस बूढ़ी औरत ने संत को सिर्फ, डेहकिया साक ( साग का एक प्रकार जो आसानी से उपलब्ध होता है ) और चावल ही परोसा पाया। इस भोजन से संत बहुत प्रभावित हुए और उन्होने गांव में नामगढ़ स्थापित करने के बारे में निर्णय लिया।
आखिरकार, इस स्थान को डेहकियाखोवा( खोहवा खाना ) के नाम से जाना जाने लगा। डेहकियाखोवा नामघर, जोरहाट से लगभग 15 किमी. की दूरी पर स्थित है और राष्ट्रीय राजमार्ग 37 से मात्र 3.5 किमी. की दूरी पर स्थित है। हर दिन बोरनामघर के दर्शन के लिए भारी संख्या में दर्शक आते है और भादप्रद के महीने ( अगस्त - सितम्बर ) में यह संख्या काफी बढ़ जाती है।