देवी काली को समर्पित पश्चिम बंगाल के शहर कालना को अंबिका कालना के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदूओं, खासकर बंगालियों के लिए धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र है। साथ ही यहां कई बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक भी हैं। इनमें प्रसिद्ध 108 शिव मंदिरों का विशेष स्थान है।
स्थानीय संस्कृति
कालना हमेशा से ही कृषि क्षेत्र में आगे रहा है। यहां जाने के क्रम में आप विभिन्न फसलों, आलू और जूट के खेतों को देख सकते हैं। यहां हिंदू और मुस्लिम पूरे सौहार्द के साथ रहते हैं। इसके अलावा यहां कुटीर उद्योग भी बड़े पैमाने पर देखने को मिलता है।
टेंपल सिटी
टेंपल सिटी के नाम से प्रसिद्ध कालना से संत भाबा पगला का भी संबंध रहा है। उनके लिए बंगाली नव वर्ष से पहले आखिरी शनिवार को विशेष पूजा—अर्चना की जाती है। प्रसिद्ध 108 मंदिरों को दो संकेद्र वृत्त में बनाया गया है। इनमें एक वृत्त में 74 जबकि दूसरे वृत्त में 34 मंदिरें हैं। मंदिर का आर्टवर्क काफी सराहनीय है।
त्योहार और उत्सव
सरस्वती पूजा, काली पूजा और दूर्गा पूजा कालना का प्रमुख त्योहार है। इसके अलावा चार दिन तक चलने वाली महिषमर्दिनी पूजा के दौरान भी माहौल काफी उत्सवी हो जाता है। इस दौरान यहां कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
कैसे पहुंचें
धार्मिक पर्यटन के लिए कालना में काफी कुछ है। अगर इस शहर को आप अच्छे से देखना चाहते हैं तो यहां पैदल यात्रा करें।
कालना का मौसम
ठंड का समय कालना घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।