अग्निेश्वर स्वामी मंदिर, कंजानूर में कावेरी नदी उत्तरी तट पर स्थित है। यह मंदिर, कुंभकोणम शहर के उत्तर पूर्व से 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शुक्र को समर्पित है जो नवग्रहों में से 6 वें नम्बर के ग्रह माने जाते है। इस मंदिर में भगवान शिव को शुक्र का प्रतीक माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा भी इस मंदिर में होती है। इस मंदिर में जन्मकुंडली के अनुसार, ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचने के उपाय भी एक चार्ट में लिखे है। किंवदंतियों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा को इसी स्थान पर भगवान शिव और पार्वती की शादी का सपना आया था और इस मंदिर में भगवान अग्नि की मूर्ति रखी होने के कारण इसे अग्निेश्वर नाम दिया गया।
यहीं भगवान ब्रह्मा ने ब्रहमा लिंग की पूजा की थी। भगवान शुक्र के लिए विशेष रूप से कोई स्थान नहीं है, माना जाता है कि भगवान शिव ही शुक्र का रूप है। इस मंदिर में दो प्राकरम है, जिन्हे कालीकमर और मानाकानजारर कहा जाता है। पर्यटक यहां आकर शिवकामी और नटराजर की पत्थर वाली मूर्तियां भी देख सकते है। नटराजा सभी को मुक्ति मंडपम के नाम से जाना जाता है।