मदन मोहनजी मंदिर करौली किले के अन्दर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा गोपाल सिंह ने करवाया था जिन्होंने इस मंदिर को मदन मोहनजी जो भगवान कृष्ण के एक रूप है को समर्पित किया था । इस मंदिर में भगवान कृष्ण और देवी राधा की 2 मूर्तियाँ है जो 3 और 2 फीट उंची हैं । लोगों का मानना है की दौलताबाद को जीतने के बाद एक बार महाराजा गोपाल सिंह ने भगवान श्री कृष्ण को अपने सपने में देखा जिन्होंने राजा को अपना मंदिर बनवाने का निर्देश दिया था राजा ने निर्देश का पालन करते हुए अजमेर से भगवान की मूर्ति मंगवाई और उसे यहाँ स्थापित कराया।
इस मंदिर के निर्माण में करौली के पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है जिसकी वास्तुकला मन को मोह कर रख देने वाली है साथ ही ये मंदिर मध्ययुगीन कला को बहुत ही बेहतर ढंग से दर्शाता है । मंदिर के गर्भगृह के चक्करदार पथ पर चित्रों की एक बड़ी संख्या को भी देखा जा सकता है। मंदिर की वास्तुकला के सौंदर्य को गर्भगृह, चौक और यहाँ के विशाल जगमोहन में दर्शाया गया है।
राधा और कृष्ण से सम्बन्ध रखने वाले त्योहारों को यहाँ के लोगों द्वारा बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है । यहाँ आने वाले पर्यटक जन्माष्टमी, राधा अष्ठमी, गोपष्ठमी और हिंडोला में भाग ले सकते हैं साथ ही यहाँ पर अमावस्या में स्थानीय लोगों के अलावा बाहर से आये हुए लोगों के लिए एक मेले का भी आयोजन किया जाता है।