कश्मीर अपनी अपार प्राकृतिक सुंदरता के कारण पृथ्वी का स्वर्ग माना जाता है। भारत के उत्तर- पश्चिमी क्षेत्र में स्थित कश्मीर घाटी हिमालय और पीर पंजाल पर्वत श्रुंखला के बीच बसी है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार एक प्रसिद्द हिंदू साधु कश्यप के द्वारा एक झील को जहां ब्राह्मण रहते थे, को सुखा देने के बाद उसके अंदर से जो भूमि प्रकट हुई उसके कारण कश्मीर राज्य अस्तित्व में आया।
धार्मिक महत्त्व - दर्शनीय स्थलों की यात्रा का एक भाग
आपको प्रसिद्द डल झील के किनारे स्थित हज़रत बल मस्ज़िद अवश्य देखनी चाहिए जिसे पहले साजिद जहां के इशरत महल या ‘प्लेज़र हाउस’ के नाम से जाना जाता था; जो शाहजहां की सेना में उच्च श्रेणी का अधिकारी था। इस स्थान पर पैगंबर मुहम्मद का बाल रखा हुआ है। यह मस्जिद पैगंबर मुहम्मद के प्रति उनके अनुयायियों के प्यार और सम्मान का प्रतीक है।
चरार–ए–शरीफ, कश्मीर के सबसे पुराने और दिखावटी धार्मिक स्थलों में से है जो अब एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। श्रीनगर से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस धार्मिक स्थल का निर्माण एक प्रसिद्द कश्मीरी सूफ़ी संत नूरूद्दीन की याद में किया गया था। उन्होंने शाकाहार, अहिंसा और सांप्रदायिक सद्भाव के सिद्धांत का प्रचार किया। झेलम नदी के किनारे स्थित शाह हमदान का खानकाह एक अन्य पर्यटन स्थल है। लटकती हुई शानदार घंटियां और नक्काशीदार पत्ते यहां की दो प्रमुख विशेषताएं हैं। इस धार्मिक स्थल का निर्माण शाह मीर राजवंश के राजा सुलतान सिकंदर ने 1835 में किया था।
श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर खीर भवानी का मंदिर है जिसका निर्माण 1912 में महाराजा प्रताप सिंह ने करवाया था। इस मंदिर हिंदू देवी राग्न्य की मूर्ति है। ऐसा माना जाता है कि हिंदुओं के देवता राम ने अपने निर्वासन में इस मंदिर का इस्तेमाल पूजा की जगह के रूप में किया था। इस मंदिर के नाम के पीछे यह तथ्य है कि यहां प्रसाद के रूप में भक्तों द्वारा केवल एक भारतीय मिठाई खीर और दूध ही चढ़ाया जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि खीर, जो सामान्य रूप से सफेद रंग की होती है उसका रंग काला हो जाता है जो अप्रत्याशित विपत्ति का संकेत होता है।
शंकराचार्य मंदिर कश्मीर का एक अन्य पर्यटन स्थल है जो एक ऊंची पहाड़ी तख़्त – ए – सुलेमान पर स्थित है। हिंदू भगवान सूर्यदेव – भास्कर के सम्मान में बना मार्तंड सूर्य मंदिर भी कई पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। अनंतनाग शहर के पास स्थित इस मंदिर का निर्माण सूर्य राजवंश के राजा ललितादित्य के द्वारा किया गया और जो उसके प्रमुख कार्यों में से एक है।
शिव खोरी की प्राकृतिक गुफ़ा जो रियासी तहसील या प्रशासनिक विभाग के अंतर्गत आती है उसे प्राकृतिक रूप से बने शिवलिंग के लिए जाना जाता है जो विनाश के हिंदू देवता शिव का प्रतीकात्मक रूप है। यह जम्मू से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गुफा की छत पर हिंदू सर्प देवता शेषनाग के चित्र देखे जा सकते हैं। गुफा के केंद्र में एक गढ्डा देखा जा सकता है जो शिवजी की जटा या उलझे हुए बालों की गांठ का प्रतीक है।
लुभावने गार्डन
वर्ष 1616 में सम्राट जहांगीर द्वारा उसकी पत्नी नूर जहां के लिए बनाया गया शालीमार गार्डन भी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। 1628 में इस क्षेत्र में एक अन्य गार्डन बनाया गया जिसे फैज़ शेख या ‘गार्डन ऑफ लव’ (प्यार का गार्डन) भी कहा जाता है। इस सीढ़ीदार गार्डन का उपयोग शाही परिवार की महिलाओं के द्वारा किया जाता था।
इसमें एक तालाब है, जिसके केंद्र में काले पत्थर का रंगमंच है। इस उद्यान में आयोजित लाइट और संगीत के शो के कई पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।