आदिगुरू शंकराचार्य की समाधि केदारनाथ मन्दिर के पास ही स्थित है। श्री शंकराचार्य एक प्रसिद्ध हिन्दू सन्त थे जिन्होंने अद्वैत वेदान्त के ज्ञान के प्रसार के लिये दूर-दूर तक यात्राये कीं। ऐसा विश्वास है कि इन्होंने ही केदारनाथ मन्दिर को 8वीं शताब्दी में पुनर्निर्मित किया और चारों मठों की स्थापना की।
लोककथाओं के अनुसार उन्होंने अपने यात्रा की शुरूआत बद्रीनाथ के ज्योतिर्मठ आश्रम से की थी और फिर केदारनाथ के पहाड़ो पर आकर अपना अन्तिम पड़ाव डाला। शंकराचार्य के चार सबसे प्रिय शिष्य उनके साथ चले किन्तु उन्हें वापस जाने के लिये कह कर वे अकेले ही चल पड़े।
यात्रियों को यहाँ गर्म पानी के सोते भी दिख जाते हैं जिन्हें शंकराचार्य ने अपने शिष्यों के लिये मौसम के प्रतिकूल प्रभावों और दर्द को दूर करने के लिये बनाया था। लोककथाओं के अनुसार शंकराचार्य ने हिन्दुओं के तीर्थस्थानों अर्थात चारधाम की खोज के उपरान्त 32 वर्ष की अल्पायु में ही समाधि ले ली थी।