उदयपुर को पहले मर्कुल या मर्गुल कहा जाता था। फिर 1695 में चंबा के राजा उदय सिंह ने इसका नाम उदयपुर रखा। हिमाचल के केलांग से 53 कि.मी दूर उदयपुर , सुन्दर पर्यटक स्थान है। समुंदरी तट से 2523 मीटर ऊँचा उदयपुर मैयूर नुल्लाह चौराहे के पास है।
इस गाँव के इर्ध-गिर्ध नीले देवदार के पेड़ है। कम ऊंचाई पर होने के कारण यहाँ सेब, अखरोट और खुबानी जैसी चीज़े उगाई जाती है। जर्मनी के मशहूर संगीतकार हर्मन गौटस ने 1939 में इस स्थान की प्राकृतिक सुन्दरता को देखकर इसकी तुलना स्विस की पहाड़ियों संग की।
त्रिलोकिनाथ और मर्कूला देवी मंदिर यहाँ के दो धार्मिक स्थान हैं। हर साल इन मंदिरों के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु आते हैं।