बहुत पहले खेड़ा को “हिडिम्बा वन” भी कहा जाता था क्योंकि ऐसा माना जाता था कि हिडिम्बा से शादी करने के लिए महाभारत के भीमसेन ने इस स्थान पर एक राक्षस को मारा था। खेड़ा पर पहले बाबी राजवंश का शासन था परंतु बाद में इस पर मराठों ने तथा उसके बाद ब्रिटिशों ने अधिकार कर लिया। खेड़ा का ऐतिहासिक महत्व भी है क्योंकि गांधीजी ने यहाँ से सत्याग्रह का प्रारंभ किया था। खेड़ा में अकाल पड़ा था और ब्रिटिश सरकार गांववालों का टैक्स (कर) माफ़ नहीं कर रही थी।
खेड़ा तथा आसपास पर्यटन स्थल
ऐसी स्थिति में गांधीजी ने सत्याग्रह प्रारंभ किया जिसके कारण अंततः ब्रिटिश सरकार को गांववालों के दबाव के आगे झुकना पड़ा तथा लगातार दो वर्षों के लिए टैक्स भी हटाया गया और ब्याज की राशि भी कम की गई। हनुमान टेकरो में स्थित “खेडिया हनुमान मंदिर”, श्री महालक्ष्मी मंदिर, श्री मनकामेश्वर मंदिर, श्री हनुमानजी मंदिर, बहुकाहराजी मंदिर, सोमनाथ मंदिर, रामजी मंदिर, भद्रकाली मंदिर, श्री मेलदी माताजी मंदिर, श्री नीलकंठ महादेव मंदिर, डाकौर का रंछोद्रई मंदिर, खेड़ा के पास स्थित खोडियार मंदिर, नडियाद का संतराम मंदिर खेड़ा के पास स्थित कुछ प्रमुख धार्मिक स्थान हैं।
खेड़ा 150 वर्ष पुराने भित्ति चित्रों के लिए भी प्रसिद्ध है जो कुछ मंदिरों की दीवारों पर तथा कुछ घरों की दीवारों पर भी पाए जाते हैं। इन भित्ति चित्रों के विषय धार्मिक और धर्म निरपेक्ष दोनों हैं जिनमें मनुष्यों और जानवरों के चित्र शामिल किये गए हैं।
खेड़ा की यात्रा के लिए उचित समय
ठंड और मानसून के मौसम में खेड़ा की यात्रा करना उचित होता है।
खेड़ा कैसे पहुंचे
खेड़ा तक रेलमार्ग या रास्ते द्वारा पहुंचा जा सकता है।