कोलार से होकर जाने वाले प्रत्येक पर्यटक को विदुराश्वथा मंदिर की सैर करने की सलाह दी जाती है। यह स्थान गोव्रिबिदानुर तालुका से लगभग 10 किमी. की दूरी पर स्थित है तथा देश के सबसे अधिक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों में इसे गिना जाता है। इस मंदिर में पहुँचने पर पर्यटक यहाँ एक पवित्र अशोक वृक्ष देख सकते हैं जो यहाँ द्वापर युग में प्रसिद्ध संत मैत्रेय महामुनि ने लगाया था। भगवान कृष्ण के उत्कट भक्त विदुर की इस मंदिर पर बहुत श्रद्धा थी जिसके कारण इसका नाम विदुराश्वथा पड़ा।
इस अशोक वृक्ष की चार विशेषताएं हैं जो मानव जीवन के वृक्ष से जुड़ी हुई हैं। इस वृक्ष के कुछ तत्वों का उपयोग औषधियों के निर्माण में किया जाता है। यह स्थान कुछ ऐतिहासिक घटनाओं के साथ भी जुड़ा हुआ है जैसे 1938 में सत्याग्रह आंदोलन यहीं हुआ था। पौराणिक और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़े होने के कारण विदुराश्वथा क्षेत्र लोगों के बीच धर्म, मर्म और देशभक्ति के संगम के रूप में प्रसिद्ध है।
कार फेस्टीवल (ब्रह्मोत्सव) के दौरान यहाँ हजारों की संख्या में भक्त आते हैं। यह त्योहार चैत्र महीने की पोर्णिमा को मनाया जाता है। भगवान के सामने अनेक शादियों के समारोह आयोजित किए जाते हैं।पर्यटक “सत्याग्रह स्मारक” की सैर भी कर सकते हैं जो मंदिर के पीछे स्थित है।