मुनरो द्वीप, को स्थानीय स्तर पर मुनरो थुरूथ के नाम से जाना जाता है, यह आठ छोटे द्वीपों का संग्रह है। कोल्लम से 27 किमी. की दूरी पर स्थित इस द्वीप पर सड़क और बैकवॉटर के रास्ते से पहुंचा जा सकता है। इस द्वीप का नाम ब्रिटिश अधिकारी कर्नल जॉन मुनरों के नाम पर पड़ा था जिन्होने इस क्षेत्र में नहरों के निर्माण में और बैकवॉटर मार्गो के एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
वर्तमान में मुनरो द्वीप पर्यटकों की बढ़ती मांग के कारण प्रसिद्ध हो चुका है, यहां हर साल हजारों सैलानी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए आते हैं। इस द्वीप में दो मंदिर हैं जिनका नाम मुलाछत्रा मंदिर और कल्लुविला मंदिर है और 1878 ई. में बना एक प्राचीन चर्च है। द्वीप का पल्लीयाम थुरूथ अपनी सुंदरता और शांति के साथ यात्रियों को ध्यान आकर्षित करता है।
मुनरो द्वीप, उस बिंदु पर स्थित है जहां ऐशतामुडी बैकवॉटर, कल्लादा नदी के साथ मिल जाती है। यह छुट्टियां बिताने के लिए आर्दश स्थल है और पर्यटक यहां आकर कई प्रकार की गतिविधियों में लिप्त रह सकते हैं जैसे - दर्शनीय स्थलों के नजारे देखना, चिडि़यों को निहारना और मछली पकड़ना आदि। यह जगह नारियल के रेशों के उद्योग के लिए प्रसिद्ध है और पर्यटक यहां आकर कॉयर बनाने और उससे सामान बनाने की प्रक्रिया को देख सकते है।