कृष्णागिरि, तमिलनाडु का 30 वां जिला है जो भारत में काली पहाडि़यों की भूमि के नाम से जाना जाता है। यहां काला ग्रेनाइट काफी बड़ी मात्रा में है। इस स्थान का कुल क्षेत्रफल 5143 वर्ग किमी. है, कृष्णागिरि एक पर्यटन स्थल के रूप में काफी लोकप्रिय है। यहां का सबसे प्रमुख पर्यटन आकर्षण केआरपी बांध है। इसके अलावा, कृष्णागिरि में कई पुरातात्विक स्थल, मंदिर, पार्क, किले और प्राकृतिक स्थल है।
आम की जगह
आम को फलों का राजा कहा जाता है, और कृष्णागिरि में आम की बड़े स्तर पर पैदावार की जाती है। यहां स्थित संथुर गांव में लगभग सौ से ड़ेढ सौ आम के बगीचे है। तमिलनाडु में सबसे ज्यादा आम की पैदावार कृष्णागिरि में ही होती है, जो सालों से होती आ रही है।
कृष्णागिरि में आकर पर्यटक आम की खेती, उसके पेड़ों की देखभाल आदि को देख सकते है। आम के बागों में इस्तेमाल की जाने वाली आधुनिक तकनीकी को भी यहां आसानी से देखा जा सकता है। यहां के किसान और आम उत्पादक, लोगों को आम की पैदावार देखने देते है और फोटोग्राफी भी करने देते है। यहां आम के पेड़ों के बीच प्रकृति के अद्भुत नजारे देखने को मिलते है। जो लोग फल खाने के शौकीन है वह गर्मियों के मौसम में यहां आम का स्वाद लेने जरूर आएं।
कृष्णागिरि और उसके आसपास स्थित पर्यटन स्थल - किलों और मंदिरों का शहर
कृष्णागिरि में भी तमिलनाडु के अन्य स्थानों की तरह विभिन्न धर्मो के लोगों के लिए काफी कुछ है। कृष्णागिरि में कई प्राचीन मंदिर है। अभी तक इस शहर में कई शासकों का शासन रहा है जैसे - नुलाम्बस, चोल, गंगास, पल्लव, होलसाय, विजयनागर, बीजापुर आदि। यहां मैसूर और मदुरई के राजाओं ने भी शासन किया है। हर शासन ने इस शहर में अपने शासनकाल के दौरान एक स्थल को जरूर बनवाया है जो उस समय की वास्तुकला का प्रदर्शन करता है।
यहां आज भी कई मंदिर खड़े है। वर्तमान में भी कृष्णागिरि में वेणुगोपाल स्वामी मंदिर, अरूलमिगु मारागथामिगाई चंद्र छुद्रेश्वर मंदिर, श्री पार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थ धाम, सीएसआई क्राइस्ट चर्च, फाथिमा चर्च - विसेंट डे पाउल पारिश ( एक पारंपरिक रोमन कैथोलिक चर्च ), सत्य साई आर्गेनाइजेशन का कृष्णागिरि समिति, जैन ध्यान मंडप, कृष्णागिरि धारगा, सैय्यद बाशा पहाड़ी मस्जिद आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल है। कृष्णागिरि, बंगलुरू और होसुर के पास स्थित है।
यहां का सुब्रमण्यम मंदिर, एक विशेष प्रकार के नृत्य कवादी अट्टम के कारण विख्यात है जिसे भक्तों के द्वारा भगवान मुरूगन की पूजा के दौरान प्रस्तुत किया जाता है। इस नृत्य को ताईपुसम त्यौहार के दौरान किया जाता है। यहां के धर्मराज मंदिर में हर साल भारथम का प्रस्तुतीकरण किया जाता है जो महाभारत का सस्वर पाठ होता है। यह मंदिर, तमिलनाडु में होने वाले टेरूकुट्टु के लिए भी एक प्रसिद्ध स्थान है जो एक प्रकार का तमिल स्ट्रीट थियेटर होता है। यह प्राचीन काल से ही सामाजिक बातचीत का एक मनोरंजक साधन है।
कृष्णागिरि और उसके आसपास का इलाका बेहद शांत और सौम्य है। इस शहर में आधुनिक इमारतें है, और बड़े - बड़े उद्योग है जो हर किसी को इस शहर को देखने के लिए आकर्षित करते है। इस शहर में जहां एक ओर धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है वहीं दूसरी ओर फलों के राजा की बहुतायत में पैदावार है। यहां के स्थानीय लोगों को अच्छा खासा रोजगार यहां से प्राप्त हो जाता है।
कृष्णागिरि, भारत का छोटा सा रूप है जहां आप निरंतर विकसित भूमि को देख सकते है, यहां स्थित केआरपी बांध वर्तमान में विस्तार पूर्वक विकास कर रहा है। केआरपी बांध के साथ, यहां केलेवारापल्ली जलाशय परियोजना भी चलाई जा रही है। जहां यह योजना चलाई जा रही है वह काफी सुंदर स्थान है।
बाहरी अंतरिक्ष से आएं एलियन
12 सितम्बर 2008 को कृष्णागिरि में उल्का बारिश हुई। इस उल्का बारिश से यहां के लोग काफी सहम गए थे। कई गांव के लोग इस घटना के साक्षात गवाह है कि मोटी काली परत उठी और काफी शोर हुआ। ग्रामीणों ने आकाश से खतरनाक तरीके से कुछ उतरते हुए देखा और उसकी सूचना दी। उतरी हुई संरचना, से 3 फीट गहरा और 5 फीट चौड़ा क्रेटर बन गया था। इस पर काफी अध्ययन किया गया और इस क्रेटर को सुलागिरि उल्का के नाम से जाना गया। यह जगह लोगों को काफी आकर्षित करती है।
कृष्णागिरि तक कैसे पहुंचे
कृष्णागिरि, पूरे देश से रेल और सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
कृष्णागिरि का मौसम
कृष्णागिरि का मौसम साल भर सुखद रहता है, यहां साल के किसी भी दौर में आसानी से जाया जा सकता है।