प्राचीन काल की परंपरा, कला और वास्तुशिल्प को अपने दामन में समेटे कृष्णानगर पश्चिम बंगाल का एक ऐतिहासिक शहर है। जालांगी नदी के किनारे पर बसा यह शहर राज्य की राजधानी कोलकाता से सिर्फ 132 किमी दूर है। कृष्णानगर अपनी उत्कृष्ट विरासत और विशिष्ट आकर्षण पर खूब इतराता है। इस जगह को स्थानीय रूप से ‘खोर’ के नाम से भी जाना जाता है।
शहर का नामकरण इसके शासक राजा कृष्णचंद्र राय के नाम पर हुआ है, जिसकी कला और वास्तुशिल्प में गहरी रुचि थी। बेशक इस शहर में आप समृद्ध संस्कृति और कलात्मक परंपरा को काफी करीब से महसूस कर सकते हैं। अपने विशेष आकर्षण, मिट्टी के मॉडल और धार्मिक उत्सवों के कारण यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
जलवायु, शिल्प और खानपान
कृष्णानगर की जलवायु आमतौर पर सामान्य ही रहती है और आप पूरे साल कभी भी यहां घूमने जा सकते हैं। यह संस्कृति और साहित्य का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है। शहर के लोग भी अपनी संस्कृति और साहित्य से गहरे जुड़े हुए हैं। लेकिन संस्कृति की असली झलक तो यहां के घुरनी नामक उपनगर में देखने को मिलती है।
यहां उन कलाकारों की एक कालोनी है जो मिट्टी की कलाकृतियां बनाते हैं। इनमें आप प्रसिद्ध देवताओं के अलावा मिट्टी से बने मनुष्य, फल और जानवरों को भी देख सकते हैं।
क्ले मॉडलिंग की एक दुर्लभ परंपरा का निर्वाहन कर रहे कृष्णानगर ने बंगाल को एक प्रमुख कला रूप दिया है। स्थानीय कलाकार प्रतिभाओं से भरे हुए हैं और पर्यटकों के बीच प्रमुख आकर्षण भी हैं। अगर आपको मिठाइयों से प्यार है तो फिर कृष्णानगर आपका इंतजार कर रहा है। यहां लंबे समय से मिठाई बनाने वालों लोगों को हलवाई कहा जाता है और वे बंगाल की प्रसिद्ध सरभाजा और सरपुरिया मिठाई के अलावा दूसरी मिठाइयां बनाने में भी निपुण होते हैं।
कृष्णानगर और आसपास के पर्यटन स्थल
यहां के राजबाड़ी को कृष्णानगर महल के नाम से भी जाना जाता है। वास्तुशिल्पीय उत्कृष्टा के कारण यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। विभिन्न त्योहारों को मनाने के लिए यहां भारी भीड़ जुटती है। यहां के उत्सवों में झूलन मेला और रंगों का त्योहार होली प्रमुख है। यह ऐतिहासिक इमारत पानी से घिरा हुआ है, जिसे दीघी नाम से जानते हैं। इसके केन्द्रीय प्रांगण में दुर्गा का एक खूबसूरत मंदिर भी है।
धार्मिक और अन्य स्थल
अपनी भव्यता के लिए जाना जाने वाला रोमन कैथोलिक चर्च निर्मल वातारावरण में स्थित है। यहां आपको कुछ असाधारण मूर्तियां मिल जाएंगी। इस चर्च का निर्माण 1886-88 में किया गया था और यहां कुछ मंत्रमुग्ध कर देने वाले ऑयल पेंटिंग्स है, जिसमें जीजस क्राइस्ट के जीवन को दर्शाया गया है।
इसके अलावा यहां कुछ पेंट किए हुए केनवास और भित्ती चित्र भी हैं। चर्च के परिसर में एक प्रोटेस्टेंट चर्च भी है, जिसमें सुंदर और रंगीन ग्सास पेंटिंग्स देखे जा सकते हैं।
धार्मिक मंदिर और मठ कृष्णानगर का एक अभिन्न हिस्सा है। मायापुर, नवद्वीप और शांतिपुर जैसे धार्मिक स्थल के साथ-साथ जालांगी घाट भी एक चर्चित पर्यटन स्थल है। इसके अलावा शहर के पर्यटन में कॉलेज भवन और पब्लिक लाइब्रेरी का भी विशेष स्थान है। इतना ही नहीं बहादुरपुर, मुर्शिदाबाद और बेतुआ दौरी भी पर्यटन का बेहतरीन विकल्प उपलब्ध कराता है।
कृष्णानगर घूमने का सबसे अच्छा समय
ठंड का समय कृष्णानगर घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
कृष्णानगर कैसे पहुंचें
कृष्णानगर सड़क और रेल से अच्छे से जुड़ा हुआ है।
कृष्णानगर का मौसम
कृष्णानगर का मौसम काफी खुशगवार रहता है।