बादल महल को ‘बादलों के महल’ के नाम से भी जाना जाता है। यह कुम्भलगढ़ किले के शीर्ष पर स्थित है। इस महल में दो मंजिलें हैं एवं यह संपूर्ण भवन दो आतंरिक रूप से जुड़े हुए खंडों, मर्दाना महल और जनाना महल में विभाजित हैं। इस महल के कमरों को पेस्टल रंगों के...
परशुराम मंदिर एक प्राचीन गुफा के अंदर स्थित है एवं प्रसिद्ध संत परशुराम को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार संत परशराम ने भगवान् राम का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहाँ तपस्या की थी। पर्यटकों को गुफा तक पहुँचने के लिए 500 सीढियां उतरनी पड़ती हैं।
मम्मदेव मंदिर का निर्माण राजा राणा कुम्भा ने वर्ष 1460 में करवाया था। यह तीर्थ कुम्भलगढ़ किले के नीचे स्थित है और इसमें चार तख्ते हैं। पर्यटक तख्तों पर खुदे हुए शिलालेख देख सकते हैं जो मेवाड़ का इतिहास बताते हैं। यहाँ इतिहास गुहिल के काल से प्रारंभ होकर राणा...
वेदी मंदिर, कुम्भलगढ़ किले के हनुमान पोल के पास स्थित है। यह जैन मंदिर राणा कुंभा ने तीर्थयात्रियों के बलिदान के सम्मान में बनवाया था। इसके बाद महाराणा फ़तेह सिंह ने इस मंदिर का नवीनीकरण करवाया। यह मंदिर देश के बचे हुए कुछ बलि स्थानों के अवशेषों में से एक माना...
नीलकंठ महादेव मंदिर, कुम्भलगढ़ किले के पास स्थित है। इस मंदिर में पत्थर से बना हुआ छह फुट का शिवलिंग है। यह पवित्र स्थल भगवान शिव को समर्पित है जो कि इस क्षेत्र के मुख्य देवता हैं। इतिहास के अनुसार राजा राणा कुम्भा इस देवता की पूजा करते थे, और एक अप्रिय घटना में...
कुम्भलगढ़ किले का निर्माण पंद्रहवी सदी में राजा राणा कुम्भा ने करवाया था। यह मेवाड़ किला बनास नदी के तट पर स्थित है। पर्यटक बड़ी संख्या में इस किले को देखने आते हैं क्योंकि यह किला राजस्थान राज्य का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण किला है। यह विशाल किला 13 गढ़, बुर्ज और...