कुरूक्षेत्र का शाब्दिक अर्थ होता है - धर्म का क्षेत्र। कुरूक्षेत्र पर्यटन, इतिहास और पौराणिक कथाओं से भरा पडा है। यहीं की भूमि पर पांडवो और कौरवों के बीच का ऐतिहासिक युद्ध, महाभारत लडा गया था। यही वह जगह है जहां भगवान श्री कृष्ण ने, अर्जुन का मोह भंग करते हुए उन्हे भगवद् गीता का उपदेश दिया था। कुरूक्षेत्र की पावन भूमि पर, हिंदू धर्म के उच्च सिद्धान्तों व कर्म व भोग के बारे में उपदेश दिए गए।
भगवत् गीता के अलावा, अन्य पवित्र ग्रंथों को भी यहां लिखा गया है। कुरूक्षेत्र का इतिहास बेहद समृद्ध और रंगारंग रहा है। समय बीतने के साथ, यहां की पवित्रता में दिनों - दिन विकास हुआ है, और यहां के दौरे पर भगवान बुद्ध और कई सिक्ख गुरू आएं, जिन्होने यहां आकर अपनी अमिट छाप छोडी। इस शहर में कई धार्मिक स्थल है जैसे - मंदिर, गुरूद्वारे और कुंड - इनमें से कुछ तो भारतीय सभ्यता के शुरू के दिनों में स्थापित किए गए थे।
कुरूक्षेत्र और उसके आसपास के क्षेत्रों में स्थित पर्यटक स्थल
कुरूक्षेत्र में कई धार्मिक स्थल है जो कुरूक्षेत्र पर्यटन को रोचक बना देते है। यहां स्थित ब्रह्मा सरोवर टैंक में, विशेष रूप से सूर्यग्रहण के दौरान हर वर्ष श्रद्धालुओं की भीड लगी रहती है। यहां के सननिहित सरोवर में आत्मा की शांति के लिए डुबकी लगाई जाती है। भारी संख्या में, हिन्दुओं की भीड, यहां के सरोवर पर अपने मृत पूर्वजों और अन्य चाहने वालों की ओर से पिंड - दान करने आते है।
कुरूक्षेत्र पर्यटन का एक उल्लेखनीय पहलू यह है कि यह स्थल, हिंदूओं के लिए दुनिया के सबसे सम्माननीय तीर्थ स्थलों में से एक है, यहां का ज्योतिसार ही वह स्थान है जहां भगवान श्री कृष्ण ने कुरूक्षेत्र के लडाई मैदान में अर्जुन को भगवद् गीता का दिव्य ज्ञान दिया था।
कृष्णा संग्रहालय को 1987 में कुरूक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा स्थापित किया गया। इस संग्रहालय में भगवान श्री कृष्ण को एक कुशल राजनीतिज्ञ, एक परम दार्शनिक, एक सच्चे आध्यात्मिक शिक्षक, एक प्रेमी के रूप में दर्शाया गया है। इसके अलावा, उनसे जुडी कलाकृतियों, मूर्तियों, चित्रों, पांडुलिपियों, स्मृति चिन्ह् और कई अन्य वस्तुओं का भी प्रदर्शन किया गया है।
यहीं, कल्पना चावला का समर्पित, कल्पना चावला प्लानेटेरियम भी बनाया गया है जिन्होने अंतरिक्ष की यात्रा के दौरान अपनी जान गंवा दी थी। इस तारामंडल के माध्यम से भारत की साहसी बेटी को श्रद्धांजलि दी जाती है।
ज्योतिसार के मुख्य तीर्थ स्थल पर हर शाम एक लाइट और साउंड शो का आयोजन किया जाता है।
कुरूक्षेत्र के एक और पर्यटन स्थल में शेख चेहली की समाधि भी शामिल है जो शहर के बाहरी इलाके में टीले पर बना हुआ है। यहां के स्थानेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव की शिवलिंग रखी हुई है और कुरूक्षेत्र के थानेसर के पवित्र शहर में स्थित है।
कुरूक्षेत्र के थानेसर में नाभि कमल नामक मंदिर है जहां एक ही छत के नीचे दो भगवान की मूर्तियां विराजमान है। हालांकि, यह बहुत बडा मंदिर नहीं है लेकिन यह भगवान ब्रह्मा की स्तुति की जाने वाले मंदिरों में से एक है। कुरूक्षेत्र में संगमरमर से बना एक बिरला मंदिर भी है।
यहां स्थित गुरूद्वारा छेईविन पाटसहिस, सिक्खों के गुरू हरगोविंद की स्मृति में बनवाया गया था, जो अपने सशस्त्र परिचारक वर्ग के साथ यहां का दौरा करने आएं थे।
बाण गंगा, जिसे भीष्म कुंडा के नाम से भी जाना जाता है, इसे महाभारत के इतिहास में एक बहुत ही भावुक, शक्तिशाली और नाटकीय घटना के एक स्मारक के रूप में देखा जाता है। कुरूक्षेत्र जिले में इन दिनों नारकतारी गांव के नाम से विख्यात स्थल पर ही भीष्म, तीरों की शर - शैय्या पर पडे रहे थे।
कुरूक्षेत्र तक कैसे पहुंचे
कुरूक्षेत्र तक वायु मार्ग, रेल और सडक मार्ग के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। चंडीगढ़ यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है।