थानेसर एक पुराना शहर है जो कुरूक्षेत्र जिले में सरस्वती घग्गर नदी के तट पर स्थित है। यह शहर दिल्ली से 160 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस शहर पर हर्षवर्धन के पिता प्रभाकरवर्धन के द्वारा शासन किया गया था। वह वर्धन वंश के पहले शासक थे और उनकी राजधानी स्थानेश्वरा थी, जो वर्तमान में थानेसर में स्थित है। थानेसर एक गांव के रूप में 1950 तक जाना जाता था।
भारत - विभाजन यानि 1947 के बाद यहां एक बड़ा सा शरणार्थी शिविर लगाया गया था। धीरे - धीरे यह कैम्प एक वाणिज्यिक शहर का केंद्र बन गया। 23 जनवरी, 1973 को बने नए जिले कुरूक्षेत्र में थानेसर को मुख्य शहर के रूप में घोषित किया गया। हालांकि, इससे लोगों को भ्रम हो गया था कि थानेसर ही जिला है।
लेकिन वास्तव में कुरूक्षेत्र को इसके पौराणिक महत्व को देखते हुए जिला बनाया गया था। शास्त्रों के अनुसार, श्रीकृष्ण, अपने परिवार के साथ द्धारका से कुरूक्षेत्र, यहां सूर्यग्रहण के दौरान लगने वाले मेले में भाग लेने आएं थे। काफी समय बाद, मुगल बादशाह अकबर ने भी 1567 ई. में यहां आकर ग्रहण के दौरान मेले का आंनद उठाया था। मुगल शासक अकबर अपने प्रसिद्ध इतिहासकार अबुल फजल के साथ सूर्यग्रहण देखने जाते थे, जिन्होने अकबरनामा लिखा था।
अकबरनामा में अबुल फजल ने इस मेले और ग्रहण उत्सव का उल्लेख भी किया है। मुगल सम्राट शाहजहां के शासनकाल के दौरान भारत के दौर पर आने वाले फ्रांसीसी यात्री फ्रांकोइस बर्नियर ने भी अपनी यात्रा के उल्लेख में सिंधु, गंगा, और सूर्यग्रहण के अवसर पर थानेसर के पवित्र कुंड में स्नान की बात का बतलाया है। इतिहासकार, अब सिंधु सभ्यता की कड़ी जांच कर रहे है। वह वेदों में वर्णित सरस्वती नदी और घग्गर नदी के होने की संभावना में जुटे हुए है।