कुशीनगर, उत्तरप्रदेश में एक महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ शहर है। बौद्ध धर्म के ग्रंथों के अनुसार, गौतम बुद्ध ने अपनी मृत्यु के बाद पारिनिर्वाण को हीरान्यावती नदी के पास प्राप्त किया था। उस कान के दिनों में इस स्थल को कुशवटी के रूप में जाना जाता था और महाकाव्य रामायण में भगवान राम के पुत्र कुश के नाम के रूप में इसका उल्लेख भी मिलता है।
हालांकि, यह शहर यहां फैली बौद्ध धर्म की जड़ों वजह से ज्यादा विख्यात है। इस शहर में 3 और 5 वीं शताब्दी के कई प्राचीन स्तुप और विहार स्थित है। इनमें से अधिकाश: स्मारकों को मौर्य सम्राट अशोक के द्वारा तैयार करवाया गया है। 19 वीं सदी में पुर्नविष्कार करने से पूर्व, कुशीनगर केवल एक खंडहरों का शहर था, जहां पहले हुए कई हिंसक हमलों के कारण इस शहर को काफी क्षति हुई थी।
कुशीनगर और उसके आसपास स्थित पर्यटन स्थल
कुशीनगर में अधिकाश: आकर्षण स्थल और जगह, भगवान बुद्ध से जुड़ी हुई है। यहां महापरिनिर्वाण मंदिर स्थित है जिसमें भगवान बुद्ध की 6 मीटर लम्बी प्रतिमा रखी हुई है। निर्वाण स्तुप का पता भी 1876 में लगाया गया था। रामभर स्तुप वह स्थल है जहां भगवान बुद्ध का अंतिम सस्ंकार हुआ था। यहां के खूबसूरत मेडीटेशन पार्क में शानदार प्राकृतिक बगीचे और कृत्रिम जल निकाय बने हुए है।
इस शहर में खुदाई करके अवशेषों को निकाला गया और उन सभी को कुशीनगर संग्रहालय में रखा गया।
एक प्रमुख बौद्ध तीर्थ यात्रा स्थल होने के नाते, कुशीनगर की खास पहचान है। यहां साल भर कई श्रद्धालु, पर्यटक, बौद्ध भिक्षु आते हैं, इसके अलावा जिन लोगों को बौद्ध धर्म में रूचि और विश्वास है वह भी यहां अध्ययन और अनुसंधान के लिए आते है। यहां कई लोगों पे अपने स्वंय के मंदिरों को निर्माण करवाया है।
उदाहरण के लिए : यहां का वाट थाई मंदिर, भगवान बुद्ध को समर्पित है, लेकिन इसकी वास्तुकला ठेठ थाई है और भारतीय शैली से बिल्कुल अलग है। चाइनीज मंदिर भी भगवान बुद्ध को समर्पित है जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इसकी वास्तुकला, विशिष्ट चीनी होगी। यहां का इंडो - जापानी मंदिर दो अनूठी वास्तुकलाओं को रोचक मिश्रण है।
बौद्ध स्थलों के अलावा, कुशीनगर में सूर्य मंदिर भी है जिसे मूल रूप से गुप्त काल के दौरान बनवाया गया था। हालांकि, इस मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार हो चुका है और पिछली बार इसका पुर्नरूद्धार 1981 में करवाया गया था। इस मंदिर में जन्माष्टमी के दिन विशेष रूप से भीड़ रहती है।
इसके अलावा, यहां कई दर्शनीय स्थल है जैसे - कुबेर अष्टन, जो भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। यहां के दवराहा अष्टन में जैन तीर्थांकरों की मूर्तियां लगी हुई है और कुरकुरा अष्टन, हिंदूओं की देवी को समर्पित मंदिर है।
कुशीनगर कैसे पहुंचें
कुशीनगर तक एयर, रेल और सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
कुशीनगर भ्रमण का सबसे अच्छा मौसम
कुशीनगर भ्रमण का सबसे अच्छा मौसम नवंबर से मार्च के बीच होता है।