उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में स्थित महापरिनिर्वाण मंदिर, पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में भगवान बुद्ध की 6.1 मीटर ऊंची मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में रखी है। यह मूर्ति उस काल को दर्शाती है जब 80 वर्ष की आयु में...
सिद्धुआ अष्टन, सिद्धनाथ नामक जगह पर स्थित है जो पड़रौना - तमकुही मार्ग पर 4 किमी. की दूरी पर स्थित है। सिद्धुआ अष्टन, वह स्थल है जहां संत बैठकर कई धार्मिक व आध्यात्मिक गतिविधियां करते है। अष्टन में भगवान हुनमान का मंदिर, देवी दुर्गा का...
चाइनीज मंदिर को लिन सुन चाइनीज मंदिर भी कहा जाता है जो कुशीनगर में निर्मित सबसे आधुनिक मंदिरों में से एक है। यह एक पहला बौद्ध स्मारक है जो लोगों का ध्यान बरबरस अपनी ओर आकर्षित करता है और इसे शहर के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है।
यह मंदिर...
वाट थाई कुशानारा चालेरमराज मंदिर जिसे संक्षिप्त में वाट थाई मंदिर कहा जाता है, इसे भगवान बुद्ध के थाईलैंड के एक शिष्य ने उसके देश के राजा भूमिबोल अदुलयादेज की विलय की स्वर्ण जंयती के अवसर पर बनवाया था। इस मंदिर का उद्घाटन सोमदेज फरा...
रामभर स्तूप को मुकुटबंधन - चैत्य या मुक्त - बंधन विहार के नाम से भी प्राचीन बौद्ध ग्रंथों में पुकारा गया है। यह स्तुप, निर्वाण मंदिर से दक्षिण - पूर्व की दिशा में लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्तूप , दुनिया भर के बौद्ध...
सूर्य मंदिर, कासिया - तमकुही मार्ग पर स्थित है जिसे तुर्कपट्टी के नाम से जाना जाता है, यह स्थल कुशीनगर से 17 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का अस्तित्व प्राचीन काल के पुराणों, ग्रंथों आदि में मिलता है। यह काफी पुराना मंदिर है। सूर्य मंदिर के बारे...
कुशीनगर, कई भारतीय समुदायों के लिए जैसे - हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों आदि के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसे एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है क्योंकि इस पवित्र स्थल पर, भगवान महावीर और भगवान बुद्ध, दोनो ने ही निर्वाण...
मठ कौर श्राइन को स्थानीय रूप से भगवान बुद्ध की विशाल मूर्तियों का घर कहा जाता है जो परिनिर्वाण स्तुप और महापरिनिर्वाण मंदिर से 400 गज की दूरी पर स्थित है। इस श्राइन में स्थित मूर्ति 3.05 मीटर ऊंची और एक ही पत्थर से निर्मित है जिसे बिहार के गया...
कुशीनगर संग्रहालय को बुद्ध संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस संग्रहालय में भगवान बुद्ध के जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डालते हुए कई चित्रों और सामानों को दर्शाया गया है। कुशीनगर में कुशीनगर संग्रहालय को 1992 - 1993 में बनाया गया था। इस शहर में न...
इंडो - जापान - श्रीलंका मंदिर, तीन देशों के बौद्ध अनुयायियों के सहयोग को इंगित करता है। वास्तव में इस मंदिर में भगवान बुद्ध की अष्ट धातु मूर्ति ( आठ धातुओं को मिलाकर बनाने वाली मूर्ति ) स्थापित है जिसे जापान से लाया गया था और इसके निर्माण के लिए...
निर्वाण स्तूप, निर्वाण चैत्य के नाम से भी लोकप्रिय है जो महापरिनिर्वाण मंदिर के पीछे स्थित है। दोनो मंदिर और 2.74 मीटर ऊंचा स्तूप, 15.81 मीटर की ऊंचाई वाले स्तूप के साथ निर्मित किया गया है जिसमें एक गोलाकार आधार पर प्लेटफॉर्म बनाया गया है। ...
पवनांगर को पवनपुरी के नाम से भी जाना जाता है, यह स्थल भगवान महावीर की निर्वाण भूमि के रूप में लोकप्रिय है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 28 पर कुशीनगर से 22 किमी. पूर्व की दिशा में स्थित है। इस शहर में बौद्ध और जैन दोनों संतों का साथ जुड़ा हुआ है। जैन...
मेडीटेशन पार्क / ध्यान पार्क को जापानी मेडीटेशन पार्क भी कहा जाता है, क्योंकि इसे भारत में भारत और जापानी परियोजना के अंर्तगत 1992 - 1993 में छ: लाख रूपए की लागत से बनाया गया है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इस पार्क की स्थापना लोगों को...
हिंदूओं में भगवान कुबेर को पैसे के देवता के रूप में पूजा जाता है। धन के देवता होने के बावजूद कुबेर, भगवान शिव के भक्त थे। इस मंदिर को कुबेर अष्टन के नाम से जाना जाता है जो देवता को समर्पित है। यह मंदिर, उत्तर प्रदेश में कुशीनगर से 21 किमी. की...
कुरूकुल्ला अष्ठन, एक घने जंगल के बीच में एक नदी के किनारे पर कासिया - तमकुही मार्ग पर 8 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह अष्टन, आदि शक्ति कुरूकुल्ला देवी को समर्पित है जिन्हे मूल और प्रथम शक्ति माना जाता है। इस पवित्र जगह को नागार्जुन ने...