लैंसडाउन के माल रोड पर निर्मित सेंट जॉन चर्च धार्मिकता और वास्तुकला का जीता जागता उदाहरण है। लैंसडाउन की यह एक मात्र रोमन केथोलिक चर्च पहले एक फॉरेस्ट बंगला थी। सालों से बन्द इस चर्च को 29 नवंबर 1980 में फिर से खोला गया। 1936 में आगरा के डायोसीज के नेतत्व में इस चर्च का निर्माण कार्य शुर हुआ और 1937 में यह पूरी तरह से तैयार हो गई।
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, पादरियों की कमी के कारण आगरा के डायोसीज इस चर्च की देखभाल नहीं कर पाए। अतः 1951 में चर्च की प्रबंधन समिति ने यह चर्च भारत सरकार को सौंप दी। 1977 में, रेव. ग्राटिय्न मुन्ड्डन, लैंसडाउन में एक नया मिशन शुरु करना चाहते थे।
उन्होंने यह जिम्मा फादर जॉन को सौंपा, ताकि वे इस विषय को भारत के सर्वोच्च अधिकारियों तक पहँचा कर, इस चर्च को जल्द से जल्द शुरु कर सकें। 1980 में, भारत की प्रधानमंत्री रही श्रीमती इंदिरा गाँधी ने इस चर्च को दुबारा शुरु करने की अनुमति दी और इस चर्च की जिम्मेदारी इसके वैध मालिक को सौंप दी। 26 अप्रैल 1983 को डॉ पौलिस जीरक्थ सीएमआई ने इसके वैध मालिक को आशीर्वाद देकर, यहाँ दैनिक प्रार्थना सभाएँ शुरु कराईं।