अमीनाबाद, लखनऊ का एक बाजार है जिसे शाह आलम द्वितीय ने 1759 - 1806 के दौरान विकसित किया था। उसने ही इमामबाड़ा, फीलखाना और कई अन्य दुकानों के अलावा एक उद्यान भी बनवाया था।
उसकी मृत्यु के बाद, उसकी पत्नी ने नवाब वाजिद अली शाह के मंत्री, इमदाद हुसैन खान अमीनाद्दौला को सम्पत्ति देकर निपटारा कर दिया। बाद में उसने यहां कई गार्डन, पार्क, बड़े - बड़े घर, एक मस्जिद और एक बाजार विकसित कर दिया जिसे अमीनाबाद के नाम से जाना जाता है। अमीनाबद के विशाल बाजार परिसर में एक पार्क भी है जिसका उद्घाटन लेफ्टिनेंट द्वारा किया गया था।
18 फरवरी 1911 को जनरल हेविट ने अमीनाबाद को लखनऊ का दिल कहा था। यह बाजार लगभग 165 साल पुराना है। यहां वास्तव में कई बाजारों का समूह है जैसे - प्रताप मार्केट, स्वदेश मार्केट, मोहन मार्केट और भी अन्य बाजार। अमीनाबाद में कई खाने - पीने की शॉप भी हैं जहां टुंडे कबाब, द्विवेदी सारी,प्रकाश कुल्फी, माताबदल पंसारी जैसे कई ब्रांड भी मिलते हैं।