बेगम हजरत महल पार्क को अवध के आखिरी नवाब, नवाब वाजिद अली शाह की बेगम की स्मृति में उनके नाम पर ही बनाया गया था। यह पार्क शहर के केंद्र में होटल क्लॉर्क अवध के पास में स्थित है। जब नवाब को कलकत्ता भेज दिया गया था तो बेगम हजरतमहल ने ही लखनऊ के मामलों का प्रभार संभाला था। उन्होने अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से जंग लड़ी थी और इसके चलते उन्हे नेपाल में शरण लेनी पड़ी थी, बाद में 1879 में उनकी मृत्यु हो गई थी।
आजादी के पश्चात्, भारत सरकार ने बेगम हजरत महल की याद में एक स्मारक का निर्माण करवाया और उसे 15 अगस्त 1962 को आम जनता के लिए खोल दिया। इस स्मारक में एक संगमरमर की टेबल है जिसमें चार सर्कुलर पीतल की प्लेट और भुजाओं के कोट सजे हुए है जो अवध के शाही परिवार के हैं।
आज के समय में यह पार्क शहरवासियों के लिए मार्निंग वॉक के लिए स्पेशल जगह बन चुकी है। पार्क में चारों ओर हरी - भरी घास बिछी हुई है और बीच - बीच में मार्बल के रास्ते बने हूए है। शाम को इस पार्क में दिल को खुश कर देने वाला नजारा देखने को मिलता है, कई फव्वारे एक साथ चलते हैं और पार्क में मनोरम दृश्य प्रदान करते है।