ताल कटोरे की कर्बला को 1800 ई. में मीर खुदा बख्श ने बनवाया था जो कर्बला के पवित्र युद्ध में मारे गए लोगों की स्मृति में तैयार किया गया था। यह मध्ययुगीन डिजायन वाला स्मारक घने जंगल के बीच में स्थित है। यहां तीन भव्य मीनारें हैं और इसका केंद्रीय भाग एक गुंबद के आकार का है।
स्मारक में की गई डिजायन और काम, आधुनिक वास्तुकला से भी काफी उम्दा है। शिया शहीद हजरत हुसैन राउजा की कब्र भी यहां के शांत और आध्यात्मिक माहौल में स्थित है। यह पवित्र श्राइन शिया मुसलमानों को मोहर्रम की संध्या पर बेहद आकर्षित करती है।
अशुरा के दसवें दिन पर एक शोक जुलुस का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु इमामबाड़ा शाह नजदफ़ पर इमाम हुसैन की कब्र तक ताजियों को लाते हैं और छोड़ देते हैं और उसके बाद उन्हे ताल कटोरे की कर्बला में लाया जाता है। बच्चे, इमामबाड़ा शाह नजदफ़ पर झंडे के पास मोमबत्तियां लगाते हैं। भोजन, बड़ा इमामबाड़ा में बनाया जाता है और उन दस दिनों तक सभी श्रद्धालुओं को बांटा जाता है।