धोबी झरना, महाबलेश्वर से 3 किमी. की दूरी पर है। यह एक पिकनिक स्पॉट है। इस झरने का पानी कोयना नदी में जाकर मिलता है।
विल्सन प्वाइंट, महाबलेश्वर में उच्चतम बिंदु है।यहां से सूर्योदय को देखना काफी प्रसिद्ध है।
इस प्वाइंट से पर्यटक सहयाद्रि रेंज को देख सकते है।
इस किले को 1856 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने बनवाया था। शहर से 20 किमी. दूर इस किले में ही शिवाजी ने अफजल खान को मौत के घाट उतार दिया था।
समुद्री तल से 1000 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस किले में मां भवानी और शिव जी का मंदिर है।
हेलेन प्वाइंट को ब्लू घाटी के रूप में जाना जाता है। ये जगह अपने आप में बड़ी ही मनमोहक है । जो किसी भी व्यक्ति का दिल जीत सकती है। यहां के झरनों से निकलने वाली आवाज आपके कानों को बहुत ही प्रिय लगेगी।
महाबलेश्वर की इस जगह से अपने पार्टनर के साथ सूर्यास्त को देखने का अलग चार्म है। यहां विशाल खुली भूमि है जो केवल शाम के समय ही घूमने लायक होती है।
धोबी वाटर फॉल्स के निकट स्थित इस झरने को देखने पर आत्मिक शांति का एहसास होता है। गर्मियों के मौसम में पर्यटक यहां आना ज्यादा पसंद करते है।
यहां के पास में ही स्थित कोयना घाटी का शानदार दृश्य भी दिखाई देता है। इस झरने का पानी बेहद...
कनॉट पीक, महाबलेश्वर की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है जो 1400 मी. की ऊंचाई पर बसी हुई है। इसका नाम कनॉट के ड्यूक की स्मृति में रखा गया है जिसे पहले माउंट ओलंपिया के नाम से जाना जाता था।
वहीं कृष्णा घाटी और वेना झील भी दर्शनीय स्थल है।
महाबलेश्वर में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है जिसे 16 वीं सदी में चंद्रा राव मोर के वंश में स्थापित किया गया है। इस मंदिर का निर्माण हेमदंत वास्तुकला से किया गया है।
महाबलेश्वर में बेबींगटन प्वाइंट पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। यहां से बैठकर महाबलेश्वर की खुबसूरती को घंटो निहारा जा सकता है। इस जगह से चीनी झरना और कोयना घाटी स्पष्ट दिखाई देते है।
आर्थर सीट को 1470 के आसपास आर्थर मालेट की याद में बनवाया गया था। मालेट वह व्यक्ति है जिसे यहां बसने वाला पहला इंसान माना जाता है। यहां पर बैठकर प्रकृति की सुंदरता को निहारा जा सकता है।