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मयीलाडूतुरै पर्यटन - मयूर शहर

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मयीलाडूतुरै का शाब्दिक अर्थ होता है - मोर का शहर। मयीलाडूतुरै , तीन शब्‍दों से मिलकर बना होता है माइल अर्थात् मोर, आदुम अर्थात् नृत्‍य और थुराई अर्थात स्‍थान। विद्धानों का मानना है कि मयीलाडूतुरै में देवी पार्वती ने एक शाप के कारण मोर दान में दिया था और वर्तमान में मयीलाडूतुरै में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस शहर को पहले संस्‍कृत नाम मयूरम् से जाना जाता था, जिसे बाद में मयीलाडूतुरै कहकर पुकारा जाने लगा।

वर्तमान में मयीलाडूतुरै एक शहर है और आज भी यहां इतिहास की जड़ें देखने को मिलती है। मयीलाडूतुरै का तमिल में अर्थ भी मयूर नृत्‍य होता है। मयीलाडूतुरै में स्थित मयीलाडूतुरै मंदिर, एक लोकप्रिय तीर्थ स्‍थल है। यह मंदिर, शहर में स्थित भगवान शिव के तीर्थ स्‍थलों में से ए‍क है।

इस मंदिर में मयूरनाथर देवता की पूजा की जाती है, माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव की मयूर स्‍वरूप में आराधना की थी। इस स्‍थान का नाम अभी भी विद्धानों की बातों पर खरा नहीं उतरता है लेकिन पर्यटन की दृष्टि से यह अच्‍छा स्‍थान है।

मयीलाडूतुरै और उसके आसपास स्थित पर्यटन स्‍थल

यह शहर कावेरी नदी के तट पर स्थित है जहां कई हिंदू मंदिर है जो इस स्‍थान को विशेष पर्यटन स्‍थल बनाते है। यहां स्थित मंदिरों में श्री वादयानेश्‍वर मंदिर, पुनुगिश्‍वेश्‍वर मंदिर, गंगाई कोंडा चोलापुरम, श्री परिमाला रंगनाथस्‍वामी मंदिर, श्री कासी विश्‍वनाथस्‍वामी मंदिर, कुरूकाई सिवान मंदिर और दक्षिणामूर्ति मंदिर, दक्षिण भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस क्षेत्र में नौ मंदिर स्थित है जिन्‍हे नवगृह मंदिर के नाम से जाना जाता है। 

सूरीनायर कोईल, तिंगालूर, वेधीशवारन कोईल, तिरूवेनकादू, अलनगुडी, कंजानुर, तिरूनाल्‍लुरू, तिरूंगावेश्‍वरम और कीझापेरूमपल्‍ल्‍म आदि इसी क्षेत्र सर्किट में स्थित है। सूरीयानर कोईल, मयीलाडूतुरै से 20 किमी. की दूरी पर स्थित है और इस यह पर्यटन के लिए विशेष केंद्र है।

यह मंदिर, भगवान सूर्य और उनकी पत्‍नी छाया को समर्पित है। तिंगालूर, मयीलाडूतुरै से 40 किमी. की दूरी पर स्थित है जो भगवान चंद्र को समर्पित है। कहा जाता है कि मानसिक रूप से दिक्‍कत होने पर लोग इसी मंदिर में प्रार्थना करने आते है। तीर्थयात्री यहां अपने कष्‍टों को दूर करने और मानसिक शांति प्राप्‍त करने आते है।

वेधहश्‍वरन कोईल, मयीलाडूतुरै से 12 किमी. की दूरी पर स्थित है जो रावण से लड़ते हुए जटायु के मृत्‍यु होने वाले स्‍थान के कारण विख्‍यात है। इसे जटायु कुंदम के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है जो सभी कष्‍टों को हरते है।

यह मंदिर, घरेलू ज्‍योतिषियों के लिए प्रसिद्ध है जहां वह लोग बैठकर लोगों के भविष्‍य के बारे में बताते है इसे नाड़ी ज्‍योतिधाम कहा जाता है। तिरूवेंकादू, मयीलाडूतुरै से पूर्व में 24 किमी. की दूरी पर स्थित है जिसे साइवा तिरूमुरिस के नाम से जाना जाता है। काशी की तरह, यहां भी कई घाट स्थित है अलनगुडी, मयीलाडूतुरै से 40 किमी. दूरी पर स्थित है जो एक मंदिर है, यह मंदिर भगवान गुरूवार को समर्पित विशेष मंदिर है, इस मंदिर की एक दीवार पर उनकी मूर्ति अंकित है।

इसी के पास में सूरीनायर कोईल मंदिर स्थित है जो मयीलाडूतुरै से 20 किमी. की दूरी पर स्थित है, यह मंदिर भगवान शुक्र को समर्पित है। पर्यटक, अपने पूरे परिवार के साथ भगवान शुक्र की आराधना करने इस मंदिर में आते है। तिरूनाल्‍लुरू, मयीलाडूतुरै से पूर्व में 30 किमी. की दूरी पर स्थित है जो भगवान शनि को समर्पित है।

यह मंदिर एक पोर्टमानटिअु ( नाला और अरू ) के नाम पर बना है जो राजा नल महाराज थे, इसे शनि के प्रभाव से मुक्‍त होने के लिए निर्मित करवाया गया था। इस मंदिर की मूर्ति पर दूध से अभिषेक किया जाता है, जो एक अनोखी परंपरा है। इस मूर्ति पर जब दूध चढ़ाया जाता है तो दूध सफेद होता है लेकिन मूर्ति पर चढ़ते हुए धीरे - धीरे पूरा दूध नीला हो जाता है और जमीन पर पहुंचते ही फिर से सफेद हो जाता है।

यहां के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में से भगवान राहु को भी समर्पित एक मंदिर है। इस मंदिर में भगवान राहु की उनकी अर्धांनगी के साथ पूजा की जाती है। किझापेरूपल्‍लम, तिरूवेनकादू के पास ही स्थित है जो भगवान केतू को समर्पित है। भगवान केतू को सर्प का सिर धारण किए हुए प्रदर्शित किया जाता है। माना जाता है कि यहां पूजा करने से सभी पाप धुल जाते है। इस मंदिर में हाथ जोड़े भगवान शिव के स्‍वरूप नागनाथर की मूर्ति स्थित है। भक्‍त इस मंदिर में नियमित रूप से दर्शन करने आते है और नवग्रहों की पूजा करते है। लोग यहां आकर पूजा करते है और समृद्ध जीवन की कामना करते है।

मयीलाडूतुरै - नवपाषाण तमिलनाडु और हड़प्‍पा सथ्‍यता के बीच की एक कड़ी

एक स्‍कूल टीचर, वी. शानमूथगाथन ने फरवरी 2006 में अपने आंगन के पीछे वाले हिस्‍से में एक गड्डा खोदा, उनको वहां कीचड़ वाले हिस्‍से में कुछ पाने की उम्‍मीद थी, उस स्‍थान से उन्‍हे इतिहास की एक दुलर्भ वस्‍तु प्राप्‍त हुई। बाद में उन्‍होने उस वस्‍तु का इस्‍तेमाल अपने ज्ञान को बढ़ाने और पुरातत्‍व के क्षेत्र में किया। उन्‍हे वहां से नवपाषाण सेल्‍ट ( एक हाथ वाली कुल्‍हाड़ी ) प्राप्‍त हुई जिस पर इंदु सथ्‍यता की अक्षर गुदे हुए थे।

यह हड़प्‍पा संस्‍कृति को प्रदर्शित करती है।पुरातत्‍व में ऐसा वस्‍तुएं दुलर्भ तरीके से मिलती है लेकिन मयीलाडूतुरै में इतिहास से जुड़ी ऐसी कई वस्‍तुएं रखी हुई है। मयीलाडूतुरै को पुरातत्‍वविदों के लिए सोने का बर्तन कहा जाता है जहां उनके मतलब की कई वस्‍तुएं प्राप्‍त होती है।

यहां कहे जाने वाले वाक्‍य '' अयीराम अनालुम मयूरम अगाधु '' का अर्थ होता है - एक ऐसा स्‍थान जो हजार भिन्‍न विशेषताओं वाला हो, उसकी तुलना कभी भी मयूरम से नहीं की जा सकती है। यह वाक्‍य इस शहर के बारे में कहा जाता है जो वाकई में सच है।

मयीलाडूतुरै कैसे पहुंचे

मयीलाडूतुरै तक एयर, ट्रेन और सड़क द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

मयीलाडूतुरै की यात्रा का सबसे अच्‍छा समय

मयीलाडूतुरै की सैर के लिए सर्दियों का मौसम सबसे उत्‍तम रहता है।

मयीलाडूतुरै इसलिए है प्रसिद्ध

मयीलाडूतुरै मौसम

घूमने का सही मौसम मयीलाडूतुरै

  • Jan
  • Feb
  • Mar
  • Apr
  • May
  • Jun
  • July
  • Aug
  • Sep
  • Oct
  • Nov
  • Dec

कैसे पहुंचें मयीलाडूतुरै

  • सड़क मार्ग
    मयीलाडूतुरै , पूरे राज्‍य से बेहतरीन सड़क नेटवर्क द्वारा जुड़ा हुआ है। यह दक्षिण चेन्‍नई से 291 किमी. और चिदम्‍बरम से दक्षिण की ओर 37 किमी., तिरूचिरापल्‍ली से 125 किमी., कराईकल से 37 किमी. की दूरी पर स्थित है। मयीलाडूतुरै से चेन्‍नई, बंगलौर और मैसूर के लिए प्रतिदिन कई बसें चलती है।
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  • ट्रेन द्वारा
    मयीलाडूतुरै , दक्षिण भारत नेटवर्क का एक महत्‍वपूर्ण रेलवे जंक्‍शन है। यहां से देश के कई हिस्‍सों को जाने वाली ट्रेन गुजरती है। पर्यटक, मयीलाडूतुरै रेलवे स्‍टेशन से भुवनेश्‍वर, मदुरई, कोच्चि, चेन्‍नई, तिरूपति, वाराणसी आदि स्‍थलों के लिए ट्रेन मिल जाती है। पर्यटक, मयीलाडूतुरै तक ट्रेन मार्ग से आसानी से पहुंच सकते है।
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  • एयर द्वारा
    मयीलाडूतुरै का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट, चेन्‍नई अंतरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डा है। चेन्‍नई और मयीलाडूतुरै के बीच की दूरी 291 किमी. है। चेन्‍नई एयरपोर्ट, भारत के सबसे व्‍यस्‍ततम एयरपोर्ट में से एक है। यहां से भारत के कई देशों के लिए उड़ाने भरी जाती है। चेन्‍नई से मयीलाडूतुरै तक के लिए बसें और टैक्‍सी आसानी से मिल जाती है।
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