श्री अय्यारप्पर मंदिर, मयीलाडूतुरै में स्थित है जो गंगाई कोंडा चोलापुरम मंदिर के समान है और ऐतिहासिक महत्व रखता है। जब गंगाई कोंडा चोलापुरम मंदिर की स्थापना की गई तो चोल वंश के राजा राजेन्द्र चोल ने कॉपर की प्लेटों पर चोल वंश के बारे में अंकित करवाया और उसी दौरान श्री अय्यारप्पार मंदिर का निर्माण करवाया, जिसमें भी उन सभी प्लेटों को लगवाया गया।
हर साल इस मंदिर में 12 त्यौहारों का आनंद उठाया जाता है। इन सभी उत्सवों को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस मंदिर के मुख्य देवता, धर्मास्ववारधानी है जिसका अर्थ होता है - धर्म के देवता। इस मंदिर में पत्थर क शिलालेख भी स्थित है जो कुलोथंगा वंश के है। यह मंदिर काफी प्राचीन है।