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होम » स्थल » मेरठ » आकर्षण
  • 01मुस्तफा महल

    मुस्तफा महल

    मुस्तफा महल एक प्राचीन भवन है, जिसका निर्माण नवाब इश्क खान ने अपने पिता की स्मृति में करवाया था। इस विशाल महल को बनाने में करीब दो साल का समय लगा था। आजादी की लड़ाई और आंदोलन में नवाब इश्क खान और उनके पिता ने कई विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाई थी। 

    एक...

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  • 02सेंट जॉन चर्च

    सेंट जॉन चर्च

    सेंट जॉन चर्च को उत्तर भारत का सबसे पुराना चर्च होने का गौरव प्राप्त है। 19वीं सदी के आरंभ में इस चर्च का निर्माण ब्रिटिश सेना द्वारा मेरठ में पदस्थ ब्रिटिश सिपाही और अधिकारी के अध्यात्मिक और धार्मिक जरूरतों को ध्यान में रख कर किया गया था।  चर्च का निर्माण...

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  • 03भोले की झाल

    भोले की झाल

    भोले की झाल को सलावा की झाल नाम से भी जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण डेम है और इस क्षेत्र में अधिकांश बिजली यहीं से मिलती है। डेम के आसपास के क्षेत्र की गिनती शहर के प्रमुख पिकनिक स्थलों में होती है। शहर की भागमभाग से इतर यहां की प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण...

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  • 04भाई धरम सिंह गुरुद्वारा

    भाई धरम सिंह गुरुद्वारा

    सैफपुर में स्थित भाई धरम सिंह गुरुद्वारा हस्तिनापुर से 2.5 किमी दूर है। इसका निर्माण 'पंज प्यारे' में से एक भाई धरम सिंह की स्मृति में किया गया था, जिसे गुरू गोविंद सिंह काफी प्रेम करते थे। गुरू गोविंद सिंह ने अपने अनुयाइयों से पूछा कि कौन सिख धर्म की रक्षा के लिए...

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  • 05गिलिस्पी की समाधि

    गिलिस्पी की समाधि

    ब्रिटिश सेना के प्रसिद्ध सेना अधिकारी जनरल गिलिस्पी की समाधि सेंट जॉन चर्च परिसर में स्थित है और इस पर उनके जन्म और मृत्यु का विवरण दिया गया है।

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  • 06मनसा देवी मंदिर

    मनसा देवी मंदिर

    प्राचीन हिंदू मंदिर मनसा देवी मंदिर सूरज कुंड के पास स्थित है। यहां हर दिन श्रद्धालू पूजा-अर्चना के लिए आते हैं और यह मंदिर खूबसूरत मूर्ति व पत्थरों पर की गई नक्काशी के लिए जाना जाता है।

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  • 07गांधी बाग

    गांधी बाग

    शहर के एक प्रमुख मुख्य मार्ग के किनारे गांधी बाग पार्क मेरठ के बीचों बीच स्थित है। इसे कंपनी गार्डन के नाम से भी जाना जाता है और यहां बड़ी संख्या में स्थानीय लोग व टूरिस्ट हर शाम होने वाले म्यूजिकल फाउंटेन शो देखने के लिए आते हैं।इस पार्क का नामकरण महात्मा गांधी...

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  • 08शाहपीर साहब की दरगाह

    शाहपीर साहब की दरगाह

    प्रसिद्ध मुगल महारानी नूर जहां ने शाहपीर की दरगाह का निर्माण एक स्थानीय मुस्लिम हजरत शाहपीर के सम्मान में करवाया था। यह दरगाह अपनी विशिष्ट वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां पत्थरों पर किए गए बेहतरी चित्रकारी को देखा जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दरगाह का...

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  • 09अप्पू घर

    अप्पू घर

    अप्पू घर एक प्रसिद्ध अम्यूजमेंट पार्क है, जो खासतौर से बच्चों के लिए बनाया गया है। गर्मी की छुट्टियों और अवकाश के दिन यहां खूब भीड़ लगी रहती है। कम खर्चीला होने के कारण कई परिवार वीकेंड में यहां आते हैं।

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  • 10काली पलटन मंदिर

    काली पलटन मंदिर

    मेरठ का खूबसूरत काली पलटन मंदिर के बारे में कहा जाता है कि 1857 में हुई आजादी की पहली लड़ाई की शुरुआत यहीं से हुई थी। विशिष्ट अवसरों खासकर सोमवार को इस मंदिर में भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर में भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति अद्भुत है और यह सजीव प्रतीत होती है।...

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  • 11अष्टपद

    अष्टपद

    अष्टपद का अर्थ होता है-आठ कदम। जैन धर्मग्रंथ के अनुसार बर्फ से ढकी हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में कहीं पर अष्टपद अध्यात्मिक केंन्द्र है। यह कैलाश पर्वत जाने के क्रम में बद्रीनाथ से 168 मील उत्तर की दिशा में है। ऐसी मान्यता है कि यह मानसरोवर झील से करीब 7 मील दूर है,...

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  • 12घंटा घर

    घंटा घर

    20वीं शताब्दी की आरंभ में अंग्रेजों द्वारा भारत में घंटा घर का निर्माण किया गया था। इसका निर्माण पुराना शंभू दरवाजा की जगह पर किया गया था। इसे जीरो माइल प्वाइंट के नाम से भी जाना जाता है और पूरी तरह से यह शहर के हृदय में स्थित है। लाल बलुआ पत्थर से बना यह घंटा घर...

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  • 13सूरज कुंड

    सूरज कुंड

    1714 के आरंभ में एक स्थानीय व्यवसायी द्वारा बनवाया गया सूरज कुंड हिंदू समुदाय का एक प्रसिद्ध स्थान है। इसके बीच में स्थित तालाब को पहले अबू नाला द्वारा भरा जाता था, पर बाद में इसे गंगा नहर के पानी से भरा जाने लगा। हिन्दुओं के लिए यह स्थान इसलिए महत्वपूर्ण है...

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  • 14शहीद स्मारक

    मेरठ में बना शहीद स्मारक सबसे पुराने युद्ध स्मारकों में से एक है। सफेद मार्बल से बना यह स्मारक 30 मीटर ऊंचा है और इसका निर्माण युद्ध में शहीद हुए भारतीय सिपाहियों को श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया था। विशेषकर इसका संबंध 1857 में हुई आजादी की पहली लड़ाई से...

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  • 15शाही ईदगाह

    शाही ईदगाह

    600 साल पुराने इस शाही ईदगाह का निर्माण मुगल बादशाह इल्तुतमिश के बेटे ने करवाया था। यह इतना बड़ा है कि इसमें एक साथ एक लाख लोग समा सकते हैं। ईदगाह का वास्तुशिल्प और मुगल नक्काशी दिल्ली सल्तनत और मुगल शासन के प्रभुत्व को दर्शाता है।

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