आटछाला वास्तुशिल्प और टेराकोटा शैली बनावट इस मंदिर की खासियत है। इस प्राचीन मंदिर में पूरे साल पर्यटक आते हैं। मंदिर में सूर्य भगवान की पूजा होती है, जिनकी प्रतिमा काले पत्थर में नक्काशी करके तैयार की गई है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को 10वीं और 11वीं शताब्दी में बनवाया गया था।