मोहाली में जिराकपुर-कालका हाइवे पर स्थित गुरुद्वारा बावली साहिब एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। एक चर्चित मान्यता के अनुसार बाबा गुरदित्ता जी के एक वंशज ने यहां वर्षो ध्यान किया था। यह बात जब गुरू गोबिंद सिंह जी को पता चली तो भंगानी की लड़ाई के बाद आनंदपुर साहिब जाने के क्रम में वह यहां रुके थे।
उस सिक्ख अनुयायी ने गुरू साहिब से अनुरोध किया कि गांव वालों की भलाई के लिए वह जल आपूर्ति को पहले जैसा कर दें। गुरू गोबिंद सिंह जी ने उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए जमीन पर एक तीर चलाई। तीर जिस जगह लगी, उस जगह एक छिछला कुआं बन गया।
बाद में इस पवित्र जगह पर गुरुद्वारा का निर्माण किया गया और उसका नाम गुरुद्वारा बावली साहिब रखा गया। अमावस्या के दिन पूरे देश से बड़ी संख्या में श्रद्धालू यहां आते हैं और बावली के पवित्र पानी में डुबकी लगाते हैं। सिक्ख समुदाय में इस गुरुद्वारा का विशेष धार्मिक महत्व है और अगर आप मोहाली में हैं, तो यहां जरूर जाएं।