सिक्खों का पवित्र तीर्थ स्थल नाभा साहिब मोहाली जिले में पटियाला-जिराकपुर हाइवे पर स्थित है। गुरू तेग बहादुर जी को फांसी दिए जाने के बाद आनंदपुर साहिब में उनका दाह संस्कार किया गया था। ऐसी मान्यता है कि भाई जैता ने उनकी अस्थि को एकत्र किया और एक मुस्लिम संत व गुरू साहिब के अनुयायी फकीर दरगाही शाह के अनुरोध पर उस अस्थि को इस गुरुद्वारा के स्थान पर रख दिया था। गुरुद्वारा के बगल में उस मुस्लिम फकीर का मजार भी है।
भंगानी की लड़ाई के बाद 1688 में गुरू गाविंद सिंह जी ने अपने पिता गुरू तेग बहादुर जी को श्रद्धाजंलि देने के लिए नाभा साहिब का भ्रमण किया था। बंदा सिंह ने भी 1709 में गुरू साहिब और मुस्लिम फकीर के प्रति सम्मान दर्शाने के लिए इस गुरुद्वारा का भ्रमण किया था। इस गुरुद्वारा का अस्तित्व 1695 से मिलता है और यहां हर साल बड़ी संख्या में सिक्ख श्रद्धालू आते हैं।