एक साहसिक यात्रा कई लोगों के लिए जिन्दगी भर की याद होती है, उनका अनोखा अनुभव होती है और वहीं कई उत्साही लोगों के लिए यह एक मानवविज्ञान हॉटस्पॉट होता है, अगर आप मोन की सैर के लिए आते हैं तो आपको यहां सब कुछ मिलेगा। मोन में हर किसी के लिए कुछ खास है फिर चाहें वो सैलानी हो या उत्साही पर्यटक।
अगर आप ऐसी जगह पर सैर करने के बारे में सोच रहे हैं जहां शहर की भागम- भाग न हो, मन को सुकुन देने वाली शांति और एकाग्रता हो, तो एक बार आपको मोन के भ्रमण के लिए अवश्य आना चाहिए। मोन, पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड का ग्यारहवां जिला है। यह जिला उत्तर में असम, दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में मोकोकचुंग और त्युएनसांग की सीमाओं से जुड़ा हुआ है।
संस्कृति और लोग - एक समझदार यात्री के लिए
संस्कृति से भरपूर, मोन शहर पर्यटकों के बीच एक सांस्कृतिक स्वर्ग के रूप में विख्यात है। मोन जिले को विशेष रूप से कोन्यक्ष की भूमि के नाम से जाना जाता है, कोन्यक्ष नागालैंड के टैटू योद्धा जनजाति हुआ करती है। इस जिले के गांव के स्त्री व पुरूष आज भी पारंपरिक परिधान पहनते हैं जिसमें भारी गहने, खासकर कानों के बड़े - बड़े कुंडल भी देखने को मिलते हैं।
कोन्यक्ष दो समूहों में विभाजित होते हैं जिनके नाम थेंडु और थेंथु होते हैं। इस जनजाति के पूर्व समूहों को उनके चेहरे पर बने टैटू से आसानी से पहचाना जा सकता है जबकि बाद के लोगों में चेहरे पर टैटू नहीं बने होते हैं। थेंडु समूह, जिले के निचले क्षेत्रों में रहते हैं जबकि थेंथु समूह उच्च क्षेत्रों में रहते हैं जिसे टोबू क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। थेंडु के शासकों को अंग्स के रूप में जाना जाता है। थेंडु समूह के लोगों को उनके टैटू किए गए चेहरों और ठोड़ी से आसानी से पहचाना जा सकता है।
त्यौहारों का समय - मोन भ्रमण करने का सबसे उम्दा समय
कोन्यक्ष, अप्रैल के महीने में आओलेन्योग मोनयू त्यौहार को मनाते हुए जश्न के रंग में डूब जाते हैं। एक सप्ताह लम्बे इस त्यौहार को फसल या बसंत के मौसम के स्वागत में मनाया जाता है। अगर आप मोन आने के बारे में सोच रहे हैं तो अप्रैल में आइए, इस दौरान यहां की सैर का समय सबसे अच्छा होता है।