विदुर महाभारत काल के दौरान पूजनीय व्यक्तियों में आते थे। क्यों की यह सत्यवादिता, और निष्पक्षता के गुणों से परिपूर्ण थे। ये कहा जाता है की जब महाभारत का युद्ध शुरू होने वाला था तो पांडवों और कौरवों ने उनसे अनुरोध किया की वे उनके बच्चों और महिलाओं की देखभाल करे।
वे सबकी सुरक्षा नहीं कर सकते थे इस लिए उन्हों ने विदुर कुटीर के नाम से एक आश्रम बनाया। दुर्योधन से मतभेद के बाद से उन्होंने यह फैसला किया की वे अपना सारा जीवन इस कुटिया में बिताएगे। विदुर कुटीर की बुद्धिमत्ता की प्रशंसा भगवान कृष्ण भी किया करते थे। कुटीर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में स्थित है। जो अब दारानगर के नाम से जाना जाता है।