मुक्तेश्वर मंदिर के बाजू में स्थित चौथी जाली या चौली की जाली एक प्रसिद्द पर्यटन स्थान है। पहाड़ी की छोटी पर बसा हुआ यह स्थान कुमाऊं घाटी और हिमालय की श्रेणियों का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। एक किवदंती के अनुसार यह वही स्थान है जहाँ देवी और राक्षस के बीच युद्ध हुआ था। युद्ध के प्रमाण जैसे ढाल, एक हाथी की सूंड और तलवार की हल्की रेखा आज भी इस स्थान पर देखी जा सकती है।
यहाँ की चट्टानों की प्राकृतिक विशिष्ट शैली से एक किवदंती जुड़ी हुई है। ऐसा विश्वास है कि यदि कोई बाँझ औरत अपने सिर को इस जाली में से निकाल लेती है तो उसे बच्चा प्राप्त होता है। एक अन्य किवदंती के अनुसार कैलाश मानसरोवर की यात्रा के दौरान कुछ भक्त एक बड़ी चट्टान के कारण यहाँ फंस गए।
उन्होंने सहायता के लिए भगवान शिव की आराधना की और भगवान शिव ने गुरू को निर्देश दिया कि वह चट्टान पर चार बार प्रहार करे। जब गुरू ने चौथी बार चट्टान पर प्रहार किया तो चट्टान की सतह पर एक छेद बन गया।