मैसूर के ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना 1891 में की गई थी। इसकी स्थापना तत्कालीन महाराजा सरकार ने की थी। इसकी स्थापना का मूल उद्देश्य पुराने संस्कृत और कन्नड़ स्वलेख को इकठ्ठा करना, उनमें परिवर्तन करना, उसका प्रकाशन करना और उसे बचाए रखना था। यहां करीब 33000 ताड़ की पत्ती की पांडुलिपि रखी गई है।
पहले इस संस्थान का संचालन शिक्षा विभाग द्वारा किया जाता था, हालांकि बाद में इसके संचालन का अधिकार मैसूर युनिवर्सिटी के हाथों में आ गया। 1943 में इसका नाम बदलकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट कर दिया गया। आम दिनों में ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है। हालांकि छुट्टी के दिनों में यह सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे तक खुला रहता है।