श्री राधवेंद्र स्वामी मठ को प्रितिका सनिधी भी कहा जाता है। इस मट में राधवेंद्र स्वामी की बड़ी सी प्रतिमा स्थापित की गई है। जो पुरे विश्व में उनकी एक मात्र प्रतिमा है। मोला परंपरा के अनुसरण करके 1836 - 61 तक रायर मट को बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया जाता था। यात्री...
यह 1735 में बनाया गया था। यह सबसे पुराना बांध है जिस पर कई रेल गाड़ियाँ वाहन चलते हैं। भारत सरकार में इसे अपनी विरासतिय स्मारकों में स्थान दिया है। समय मिलने पर पर्यटकों को यह स्थान जरूर देखना चाहिये।
नंजूनडेशवर मंदिर को श्री कंटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह शिव मंदिर है और यह द्रविड़ शैली में बना है। पूर्वजों के अनुसार इस मंदिर में भगवान शिव का वास था। इस मंदिर को गंगा शासनकारों ने बनाया था और इसकी देख रेख होय्सला राजाओं ने की थी। इतिहासकारों का यह...
यह नंजनगुड का दूसरा तीर्थ स्थान है। यहाँ कपिला और कौदिन्या नदियों का संगम होता है। इसी स्थान पर परशुराम ने अपनी माँ का सिर काट कर पाप किया और इसी स्थान पर उसे मोक्ष प्राप्त हुआ। परशुराम ने गलती से अपनी कुल्हाड़ी भगवन शिव के सिर पर मार दी, तब भगवन शिव ने...