यह नंजनगुड का दूसरा तीर्थ स्थान है। यहाँ कपिला और कौदिन्या नदियों का संगम होता है। इसी स्थान पर परशुराम ने अपनी माँ का सिर काट कर पाप किया और इसी स्थान पर उसे मोक्ष प्राप्त हुआ। परशुराम ने गलती से अपनी कुल्हाड़ी भगवन शिव के सिर पर मार दी, तब भगवन शिव ने उन्हें यहाँ मंदिर बनाने के लिए कहा, जो आज परशुराम मंदिर के नाम से जाना जाता है। और तपस्या द्वारा परशुराम को मोक्ष प्राप्त करने की राह दिखाई। यह मान्यता है की परशुराम क्षेत्र के दर्शन के बिना यह यात्रा अधूरी है।