भारत में कुछ ही जगहें ऐसी हैं, जो अपनी संस्कृति और विरासत के मामले में अद्वितीय हैं। ओडिशा राज्य भी उन्हीं में से एक है।अपनी समृद्ध परंपरा एवं अपार प्राकृतिक संपदा से युक्त तथा पूर्व में उड़ीसा के नाम से रूप में जाना जाने वाला, ओडिशा, भारत का खजाना एवं भारत का सम्मान है। ओडिशा को प्यार में 'भारत की आत्मा' कहा जाता है।
ओडिशा के स्वर्ण त्रिभुज का अन्वेषण
तीन प्रसिद्ध मंदिर जो 'स्वर्ण त्रिभुज' कहलाते हैं, ओडिशा में पर्यटन के प्रमुख बिन्दु भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर, पुरी में जगन्नाथ मंदिर और कोणार्क में सूर्य मंदिर हैं। हालांकि, ओडिशा की यात्रा शुरू करने के लिए भुवनेश्वर पहुंचना सबसे सही तरीका है। शहर में सौ से अधिक मंदिरों के साथ, उनमें से कईयों की एक समृद्ध ऐतिहासिक प्रासंगिकता है, कई चीजें देखने व घूमने वाली हैं। ओडिशा में पुरी अच्छी तरह पसन्द किया जाने वाला गंतव्य है।
पुरी भारत में दिव्य चार धामों में से एक है। अन्य तीन धाम, द्वारका, बद्रीनाथ और रामेश्वरम हैं। दिलचस्प है कि भक्तों के बीच यह दृढ़ मान्यता है कि इस पवित्र भूमि की यात्रा न्यूनतम प्रयासों में अधिकतम परिणाम प्रदान करती है। कोणार्क गांव यहां स्थित कोणार्क मंदिर की वजह से प्रसिद्धि में आया।
यह ओडिशा में वास्तुकला की उत्कृष्ट शैली को प्रकट करता है। हालांकि मंदिर खंडहरावस्था में है, फिर भी यह एक विश्व धरोहर स्थल है, जो अपनी मूर्तिकला व नक्काशी के लिए मशहूर है।
ओडिशा पर्यटन के अन्य पहलु
ओडिशा राज्य भर में फैले हुए न केवल अपनी गजब की प्रेरणादायक वास्तु संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां गर्व करने के लिए कई अन्य पहलू भी हैं। यहां स्थित जैन स्मारक, बौद्ध केन्द्र तथा वन्यजीव अभयारण्य हमें बताते हैं कि ओडिशा का खजाना कितना विविध है।
ओडिशा के लोग
ओडिशा शहरी और ग्रामीण समुदायों का उत्कृष्ट मिश्रण है। अधिकांश जनसंख्या कृषि कार्य में लगी है। ज्यादातर निवासी शहरों की अपेक्षा गांवों में रहते हैं। यहां बहुत सारे जनजातीय समूह भी हैं जो राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग एक चौथाई हैं। ये समुदाय अभी भी अपनी समृद्ध संस्कृति का अनुसरण कर रहे हैं तथा अपनी परंपरा को बनाए रखे हैं। उड़िया, राज्य की आधिकारिक भाषा है। हालांकि राज्य के समग्र विकास की वजह से हिन्दी तथा अंग्रेजी बोलने वालों की भी कमी नहीं है।
ओडिशा में संस्कृति और भोजन
परंपरा में बंधे राज्य होने के नाते, राज्य के लोग धार्मिक हैं और कड़ाई से अपनी परंपराओं का पालन करते हैं। ओडिशा की शास्त्रीय नृत्य शैली,ओडिसी,अभी भी राज्य में जिंदा है और राज्य में शादियों और अन्य समारोहों के दौरान यह दिखाई देती है। ओडिशा के मूल निवासी पौष्टिक व प्राकृतिक भोजन पसन्द करते हैं।
चावल प्रेमी होने के नाते,उनके द्वारा तैयार किये गये व्यंजन ज्यादातर तेज और स्वाद में हल्के-फुल्के होते हैं। कुछ व्यंजन जो आपको यहां खाकर देखने चाहिए, वे हैं डालमा,बेसरा, दही बैगन और आलू पराठा। यहां बने अचार भी आपकी भूख को बढ़ा देंगे।
मेले और त्योहार
ओडिशा में किसानों की एक बड़ी आबादी है, इसलिए उनके कई त्योहारों भी कटाई के मौसम से जुड़े हुए हैं। ओडिशा द्रविड़, आर्य और अन्य प्राचीन संस्कृतियों का मिश्रण है, इसलिये यहाँ मनाये जाने वाले त्योहारों में भी अलग-अलग परंपराओं की महक देखने को मिलती है।
मकर मेला, माघ सप्तमी, रथयात्रा और दुर्गा पूजा बडे जोश के साथ राज्य भर में मनाया जाने वाले त्योहारों में से कुछेक हैं। इन त्यौहारों के अलावा, ओडिशा कोणार्क महोत्सव,राजरानी संगीत समारोह मुक्तेश्वर, नृत्य महोत्सव जैसे अपने सांस्कृतिक व कला त्यौहारों के लिए भी जाना जाता है।
ओडिशा की यात्रा
अच्छी तरह से जुड़ी सड़कें, रेलवे नेटवर्क और हवाई अड्डें, देश के अन्य राज्यों से ओडिशा की यात्रा को काफी आसान बनाते हैं। राज्य में गर्मी में उष्णकटिबंधीय जलवायु, सर्दियां तथा मानसून यहां के प्रमुख सीजन हैं।