इस किले का निर्माण 1551 में हुआ और तथ्य यह है कि अब इसके खंडहर ही शेष हैं परंतु इससे इसका भव्य और शानदार पर्यटन मूल्य कम नही होता। मांडोवी नदी के किनारे उत्तर की ओर स्थित इस किले का निर्माण सुलतान आदिल शाह ने करवाया था। कई वर्षों तक इस किले ने पुर्तगाली शासकों के लिये एक दुर्जेय चेक पोस्ट की तरह कार्य किया जिससे वे पड़ोसी राज्यों से अपने क्षेत्र की सुरक्षा को सुनिश्चित करते थे।
ऐतिहासिक महत्व
सन 1760 में रिस मगोस किले पर पुर्तगालियों ने कब्ज़ा कर लिया और इसके विभिन्न सुरक्षा टॉवरों ने उस समय हमला करने वाले शत्रु का ध्यान रखा। आज ये टॉवर मांडोवी नदी का अदभुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं और यहाँ से पणजी शहर और लंगर डाले हुए जहाज तथा क्रूज़ को भी देखा जा सकता है। यह किला लेटराईट पत्थरों (लाल मिटी के पत्थरों, मखरला) से बना है जो इसे परंपरागत स्लेटी रंग के विपरीत लाल ईंटों से बना सांस्कृतिक रूप प्रदान करता है।
पुर्तगाली युग के समय रिस मगोस किले का उपयोग गोवा पर मराठों के आक्रमणों को विफल करने के लिये किया गया। पुर्तगाली शासन के पतन के बाद इस किले का उपयोग जेल की तरह किया गया। आज यह किला परित्यक्त अवस्था में है।