हेमू नाम से लोकप्रिय हेमचंद्र, हरियाणा के रेवाडक्ष्ी का निवासी था। अपनी बुद्धिमता, सैन्य क्षमताओं और वीरता के आधार पर उसने हेमचंद्र विक्रमादित्य का खि़ताब हासिल किया था। दिल्ली पहुँचकर मुग़ल सम्राट अकबर को देश से बाहर निकालने के लिए उसने पूरे उत्तरी भारत में लड़ाइयाँ छेड़ दी। उसका सपना भारत में फिर से हिंदू शासन स्थापित करना था।
उसने पानीपत की दूसरी लड़ाई में मुग़ल सेनाओं के खि़लाफ लड़ाई लड़ी थी। ज बवह लड़ाई जीतने वाला था, बिल्कुल तभी उसकी आँख में एक तीर आकर लग गया था। हेमू बेहोश हो गया और कैद कर लिया गया। पानीपत में जींद रोड पर स्थित सौंधपुर में अकबर के सामने लाते समय वह मर गया था।
बहरहाल, अकबर ने उसका सिर काटकर काबुल भेज दिया ताकि उसे ’दिल्ली दरवाज़ा’ पर सार्वजनिक रूप से टांग दिया जाए। उसका धडत्र भी दिल्ली में पुराने किले पर आंग दिया गया ताकि हिंदुओं को सबक मिल सके। हेमू के मित्रों और समर्थकों ने उसके सिर कटने के स्थान पर उसकी समाधि का निर्माण किया।