काला अंब उन मराठों की याद में बनवाया गया था जिन्होंने 1761 में अहमद शाह दब्दाली के साथ पानीपत की तीसरी लड़ाई लड़ी थी। मराठा सेनाओं का नेतृत्व सदाशिवराव भाऊ, विश्वासराव और महादाजी शिंदे ने किया था। जिस जगह यह लड़ाई लड़ी गई थी, ठीक उसी जगह एक आम का पेड़ लग गया था।
इसपर काले रंग के आम लगे थे। ऐसा माना गया कि आम का रंग काला इसलिए हुआ क्योंकि यह इस मिट्टी पर खड़ा था जिसमें सैनिकों का खून मिल गया था। ज़ाहिर है, यह पेड़ बहुत समय तक गायब रहा था।
इस स्मारक को ’काला’ कहने का वास्तविक कारण यह भी हो सकता है कि इसके पत्ते गहरे हरे रंग के हैं। इस जगह पर लोहे की छड़ के साथ ईंट से बना एक स्तंभ है। इस स्तंभ पर अंग्रेज़ी और उर्दू में लड़ाई के बारे में एक सेक्षिप्त शिलालेख है। इसके चारों ओर एक लोहे की बाड़ बनी हुई है।
हरियाणा के राज्यपाल की अध्यक्षता में एक सोसायटी इस पर्यटन स्थल के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए कार्य कर रही है।