सहस्रलिंग तालाव, एक जलाशय है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'एक हजार लिंगों की झील', इसका निर्माण दुर्लभ सरोवर नाम की झील पर 1084 में सिद्धराज जयसिंह ने करवाया था। झील गुजरात राज्य में पाटन में रानी की चच के उत्तर में स्थित है।
झील पर तीन बार हमला किया गया था और...
एक सीढ़ी युक्त कुआं, रानी की वाव का निर्माण रानी उदयामती द्वारा अपने पति राजा भीमदेव की प्यार भरी स्मृति में 1063 में कराया गया था। राजा भीमदेव ही सोलंकी राजवंश के संस्थापक थे। ज्यादा तर सीढ़ी युक्त कुओं में सरस्वती नदी के जल के कारण...
पाटन मश्रू बुनकर बुनाई की एक अनूठी शैली में रेशम और कपास का उपयोग करने वाला एक अन्य समुदाय है। पोशाक की बाहरी परत रेशम में बुनी होती है, जबकि अंदर का कपड़ा रुई का होता है। देश के एक सभी भागों में इस्तेमाल की गई यह बुनाई की तकनीक अब भारत में केवल कुछ स्थानों...
पाटन में बुने रेशम पाटन को पटोला के नाम से जाना जाता है। पटोला रेशम की बुनाई, बुनाई के सभी तरीकों में सबसे कठिन है। वे रेशम की बुनाई के लिए 'दोहरी इक्कत शैली' का उपयोग करते हैं। इस विशेष शैली का पटोला बुनकरों के अलावा सिर्फ इंडोनेशिया में ही प्रयोग किया जाता...
पाटन में सैंकड़ों जैन मंदिर हैं, क्योंकि सोलंकी काल को जैनियों के केंद्र का काल माना जाता है। उन मुख्य मंदिरों में से एक पंचसारा पार्श्वनाथ जैन डेरासर है। पाटन में कई जैन मंदिर हैं, जिनमें सफेद संगमरमर का फर्श और पत्थर की नक्काशी हैं, जो जैन मंदिरों...