गुरुद्वारा गोबिंद घाट गंगा नदी के तट पर स्थित है और तख़्त श्री पटना साहिब के पास है। इसे कंगन घाट भी कहते हैं जहाँ गुरु गोबिंद सिंह ने बचपन में अपना सोने का कंगन फेंक दिया था। यह जगह गुरु गोबिंद सिंह के बचपन से संबंधित लोककथाओं के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है...
खुदाबख़्श एक समृद्ध विरासत युक्त लाइब्रेरी है। इस लाइब्रेरी की स्थापना 1900 में की गई थी और इसमें दुर्लभ अरबी और पारसी पांडुलिपियों का एक बड़ा कलेक्षन, राजपूत और मुग़ल पेंटिंग, कुरान जैसी विषम वस्तुओं का 25 प्रकार से बखान तथा अनेक ऐसी पुस्तकें जो दुनिया की किसी...
गुरुद्वारा पहिला बारा के नाम से भी जाना जाने वाला गुरुद्वारा घई घाट गुरु नानक देव को समर्पित है, जो अपनी यात्रा के दौरान यहाँ रुके थे क्यांकि यह भगत जैतामल का घर था। जैतामल गुरुजी के सबसे प्रबल अनुयायियों में से एक था और बाद में उसने अपना घर एक धर्मशाला में बदल...
फुलवारी शरीफ को सूफी मत के प्रचीन केंद्र के रूप में जाना जाता है और अनेक महान सूफी संत अकसर यहाँ आते रहते थे। प्राचीन समय के सूफी संतों ने धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के लिए बिहार को मुख्यालय बना दिया था।
इसी तरह, प्रेम और सहनशीलता का संदेश देने...
गुरुद्वारा गुरु का बाग अपने चार साल लंबे भ्रमण के दौरान युवा गुरु गोबिंद सिंह जी के स्वागत की याद दिलाता है। यह तीर्थस्थल पवित्र पिता और पुत्र की पहली बैठक के लिए जाना जाता है। पुराना कुँआ आज भी इस्तेमाल किया जाता है और इमली का वह सूखा पेड़ आज भी परिसर में गर्व के...
गुरुद्वारा बाल लीला मैनी एक घर है जहाँ राजा फतेहचंद मैनी रहता था। युवा गुरु गोबिंद सिंह निःसंतान रानी को मिलने आए और उसे अध्यात्म के माध्यम से सांत्वना दी। रानी ने उबले नमकीन चने उनको परोसे थे जो इस गुरुद्वारे में प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं। पुराने प्रवेशद्वार...
गोलघर अनाज भंडारण को पुर्नपरिभाषित करने का एक अभिनव प्रयास है। इसका निर्माण 1786 में भारी अकाल के मद्येनज़र किया गया और यह एक 29मी. लंबा अनाज भंडार है। अपने विशेष प्रकार की वास्तु प्रकृति के अलावा गोलघर गंगा के पीछे से पूरे शहर का सुंदर नज़ारा प्रस्तुत करता है। यह...
सदाकत आश्रम की स्थापना मज़ाहारुल हक द्वारा हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप् में की गई थी। यह जगह मुख्यालय थी जहाँ से राज्य में स्वतंत्रता आंदोलन का संचालन किया गया था। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने अपनी रिटायरमेंट के दिन यहाँ गुज़ारे थे। उनके...
गुरुद्वारा हांडी साहिब दानापुर में स्थित है जो प्राचीन पटना शहर से लगभग 20कि.मी. पश्चिम की ओर है। पटना साहिब छोड़ने के बाद गुरु तेग बहादुर के परिवार ने यहाँ अपना पहला पड़ाव बनाया था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माई परधानी नामक एक बूढ़ी औरत ने उनको खिचड़ी से भरी...
अगमकुँआ अर्थात् ’अथाह कुँआ’ का विशाल ऐतिहासिक महत्व है। यह मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल से संबंधित है और पटना के प्राचीन पुरातात्विक स्थलों में से एक है। इस जगह से अनेक किंवदतियाँ जुड़ी हुई हैं तथा कुछ लोग इसे यातना कक्ष मानते हैं जबकि कुछ लोगों का...
शहीद स्मारक उन सात लीडरों की आदमकद प्रतिमाएं हैं जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में अपने प्राण दिए थे। यह स्मारक उन निडर नायकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता दिखाने के लिए बनाया गया है।
गांधी मैदान इस शहर के नक्षे पर एक बड़ा लैंडमार्क है। पहले इसे पटना लॉन कहते थे। गांधी मैदान पटना के बीच में स्थित है। इसका राजनीतिक और व्यावसायिक महत्व है तथा प्रमुख केंद्रों को इसके चारों ओर स्थित किया जा सकता है।
नाघोल कोठी एक मुगल वास्तुकार द्वारा ब्रिटिश राज के दौरान बनाया गया मुगल वास्तुकला का एक भव्य उदाहरण है। यह इमारत एक सुंदर बाग से घिरी हुई हैं।
शेरशाह सूरी मस्जिद को शेरशाही भी कहा जाता है। यह मस्जिद वास्तुकला की अफ़गान शैली का एक उम्दा उदाहरण है। 1540-1545 में इसे शेरशाह सूरी ने अपनी श्रेष्ठता के उपलक्ष्य में बनवाया था।
इस मस्जिद के परिसर के अंदर एक कब्र मौजूद है जिसे एक अष्टकोणीय पत्थर की स्लैब से...
श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र एक देखने योग्य स्थान है। फन साइंस गैलरी, पोपुलर साइंस गैलरी, विश्वरूपा, 3डी शो, महासागर, जुरासिक पार्क और इवोल्युशन यहाँ के कुछ बड़े आकर्षण हैं। विज्ञान को रोचक बनाने के लिए अनेक अद्भुत इंटरएक्टिव प्रदर्शनियाँ लगाई जाती हैं और अनेक...