सतपदा ड़ॉल्फिन अभयारण्य ओड़िशा राज्य के पूर्वी दिशा में स्थित है और यह पुरी से 50 किलोमीटर दूर है। यह राज्य के सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। सुंदर ड़ॉल्फिनों के साथ, आपको खूबसूरत सूर्योदय और सूर्यास्त को देखने का मौका भी मिलता है।
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श्री गुंड़िचा मंदिर पुरी बस स्टैंड़ के निकट गुंड़िचा चौराहे पर स्थित है। यह रथ यात्रा महोत्सव के लिए जाना जाता है। यह मंदिर गुड़िचा घर या गुंड़िचा मंदिर के रुप में भी जाना जाता है। जगन्नाथ मंदिर के बाद, पुरी का श्री गुड़िचा मंदिर ही भगवान जगन्नाथ का दूसरा सबसे...
बलिघई बीच, पुरी से मात्र 8 किलोमीटर दूर, पुरी- कोणार्क मरीन ड्राइव सड़क मार्ग पर स्थित है। ओड़िशा का अनन्वेषित समुद्र तट देखने योग्य है। यहां आप नदी के शांत पानी को कठोर समुद्र के साथ मिलते देख सकते हैं। इस स्थान का जादुई वातावरण देश भर से सैलानियों को आकर्षित...
स्वर्गद्वार, पुरी में एक हिंदू श्मशान भूमि है। नाम से पता चलता है, कि इसे हिंदू धर्म के लोग स्वर्ग का प्रवेश द्वार मानते हैं। इस स्थान से जुड़ी विभिन्न पौराणिक कहानियों के कारण भारत भर से लोग स्वर्गद्वार को देखने आते हैं। कहते हैं कि जो व्यक्ति इस समुद्र पर या इस...
मौसीमां मंदिर, जगन्नाथ मंदिर और गुंड़िचा मंदिर के बीच पुरी के ग्रांड़ रोड़ पर स्थित हैं। देवी मौसीमां को अर्धासीनी भी कहा जाता है और मौसीमां भगवान जगन्नाथ की चाची की मां की बहन थी। माना जाता है कि जब इस शहर में बाढ़ आई तो देवी मौसीमां ने समुद्र के आधे पानी को पी...
पुरी का समुद्री तट, बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है और पुरी रेलवे स्टेशन से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर है। पुरी समुद्री तट शहर का एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है और इस तट को तैराकी के लिए आदर्श तथा भारत के सर्वश्रेष्ठ समुद्री तटों में से एक के रुप में माना जाता...
आम तौर पर गोवर्धन मठ, भोगो वर्धन मठ के रूप में जाना जाता है। यह चार प्रमुख मठों में से एक है जिसकी स्थापना 8 वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने की थी, इसका प्रमुख उद्देश्य सन्यासियों के विभिन्न समूहों को एक साथ लाना था। ऋग्वेद की कार्यभारी गोवर्धन मठ पर है। यह पुरी शहर...
पिप्ली भुवनेश्वर के पास स्थित एक छोटा सा गांव है। यह गांव मुख्य रूप से अपने हस्तशिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है। पिप्ली में हैंडबैग, छाते, जूते, कपड़े, दीवारों पर टंगी जाने वाली चीजें, तकियों के कवर, कुशन कवर, चादरें आदि विभिन्न वस्तुओं पर चमकदार और सुंदर पिप्ली...
पुरी के जगन्नाथ मंदिर के बाद श्री लोकनाथ मंदिर दूसरा सबसे अधिक लोकप्रिय मंदिर है और विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और कहते हैं कि यह यहां के एक तलाब के नीचे था जहां भगवान शिव शनिदेव से छिपाकर बैठे थे।
...कोणार्क का सूर्य मंदिर निहारने योग्य है। कोणार्क के बीचोंबीच स्थित, यह मंदिर ओड़िशा के मंदिरों की वास्तुकला का शिखर है। यह पत्थर में की गई शिल्पकारिता के सबसे आश्चर्यजनक कृतियों में से एक है। यह सूर्य मंदिर अपनी उत्कृष्ट संरचनात्मक रचनाओं के कारण दुनिया भर के...
अलरनाथ मंदिर, पुरी से लगभग 25 किमी दूर ब्रह्मगिरि में स्थित है, यह भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। यह माना जाता है कि सत्य युग के दौरान, एक पहाड़ी की चोटी पर भगवान ब्रह्मा भगवान विष्णु की पूजा करते थें, और उनसे खुश होकर उन्होंने उन्हें एक...
पुरी कोणार्क मरीन एक 35 किमी लंबा सफर है जो पुरी और कोणार्क के धार्मिक स्थलों को जोड़ता है। इस सड़क मार्ग के दोनों ओर सुरम्य तटीय जंगल फैला है। पुरी कोणार्क मरीन ड्राइव पर कई तटीय रिसॉर्ट हैं। आप रास्ते में रुक कर रामचंड़ी मंदिर, पंच मुखी हनुमान मंदिर और...
बलिहर चंड़ी मंदिर, देवी दुर्गा को समर्पित है और यह पुरी के दक्षिण पश्चिम दिशा में 27 किमी दूर स्थित है, जब आप ब्रह्मगिरि और सतपाद की ओर यात्रा करते हैं। यह सुंदर मंदिर समुद्र के निकट एक रेतीली पहाड़ी पर स्थित है। अतः भक्त देवी दुर्गा को देवी बलिहर के नाम के रुप...
रघुराजपुर को भारत के सांस्कृतिक नक्शे में एक विशेष स्थान दिया गया है। ओड़िशा के पुरी जिले का यह छोटा सा गांव अपने पट्टचित्र चित्रकारों के लिए जाना जाता है। प्रसिद्ध ओड़िशा नर्तक केलुचरण महापात्र इस प्रसिद्ध स्थान से है। यह गांव ऐसे शिल्पकारों को प्रदान करता है जो...
नाम से पता चला है कि बेड़ी हनुमान मंदिर, जंजीर से बंधा एक हनुमान मंदिर है और समुद्र तट के निकट स्थित एक छोटा सा मंदिर है जो पुरी के चक्र नारायण मंदिर की पश्चिम दिशा की ओर बना है। इसे दरिया महावीर मंदिर भी कहा जाता है; दरिया का अर्थ है समुद्र और महावीर भगवान हनुमान...