पूर्णचंद्र सभागार का निर्माण, 1973 में करवाया गया था, इस हॉल में एक साथ 15000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। यह हॉल 60 व 40 मीटर के आयाम में फैला हुआ है। यह एक स्ंतभ रहित संरचना है और इसे भव्य रूप दिया गया है।
यहां भगवान के सभी रूपों के चित्र और भित्ति चित्र है, सभी धर्मो के गुरूओं के चित्र भी यहां देखने को मिलते है। इस सभागर का उपयोग, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रवचनों और सम्मेलनों के लिए किया जाता है। इस सभागार में कई बालकनी और गुंबद भी शामिल है। दशहरे के दिन यहां एक यज्ञ का आयोजन किया जाता है।